सरकार कानून पालन न करे तो कोर्ट आंखें बंद... : राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी की याचिका पर SC ने उठाए सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने पेरारीविलन की रिहाई के मामले में कहा कि सरकार हमारे आदेश का पालन करे वरना कोर्ट आदेश पारित करेगा.

विज्ञापन
Read Time: 26 mins
राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी की याचिका पर SC ने उठाए सवाल
नई दिल्ली:

राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने कहा कि कानूनी और संवैधानिक सवाल यही है कि क्या राज्यपाल कैबिनेट की सम्मति के खिलाफ जा सकते हैं? ये गंभीर मसला है. इससे संघीय ढांचे पर प्रतिगामी प्रभाव हो सकता है. इससे संघीय व्यवस्था नष्ट हो सकती है. कानून से ऊपर कोई नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने पेरारीविलन की रिहाई के मामले में कहा कि सरकार हमारे आदेश का पालन करे वरना कोर्ट आदेश पारित करेगा. क्योंकि सरकार कानून पालन ना करे तो कोर्ट आंखें बंद कर बैठा नहीं रह सकता . हमारी निगाह में कानून से ऊपर कोई नहीं है. 

सुनवाई के दौरान अदालत ने ASG के एम नटराज से कहा कि राज्यपाल कैबिनेट के फैसले पर सवाल उठाते हुए उसे राष्ट्रपति के पास भेजे, तब कोर्ट उसमे दखल दे सकता है. हमारा मानना है कि राज्यपाल कैबिनेट की सिफारिश मानने को बाध्य है. कोर्ट ने पूछा कि कैबिनेट ने कब फैसला किया? ASG नटराज ने कहा कि हाल ही में..  पिछले साल जनवरी में. इस पर नाराज होते हुए जस्टिस गवई ने टोका कि पिछले साल जनवरी .. सवा साल से ज्यादा पुरानी बात को आप हाल ही में... कह रहे हैं. जबकि ये निजी स्वतंत्रता को बात है  . सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई दस मई को करेगा.  

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्यों ना हत्या के दोषी ए जी पेरारिवलन को रिहा कर दिया जाए . अदालत ने सरकार को दोषी ए जी पेरारिवलन की जल्द रिहाई पर एक सप्ताह के भीतर अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया था . सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बी आर गवई की पीठ ने कहा था . हमें पेरारिवलन को रिहा क्यों नहीं करना चाहिए?  वो इस मुद्दे के बीच क्यों फंसा रहे कि रिहाई के मुद्दे को कौन तय करे?"

Advertisement

अदालत ने यह देखने के बाद सवाल उठाया कि यह मुद्दा लटका हुआ है कि रिहाई का आदेश कौन देगा, तमिलनाडु के राज्यपाल या भारत के राष्ट्रपति . सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से भी पूछा था कि उसकी रिहाई के बारे में फैसला कौन करेगा . ए जी पेरारीवलन पूर्व PM  राजीव गांधी की हत्या का दोषी है और उम्रकैद की सजा काट रहा है . पेरारिवलन के वकील ने दलील दी कि उन्होंने 36 साल जेल में काट लिए हैं.  उनका आचरण सही है और उन्हें जेल से रिहा किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से यह भी पूछा था कि क्या राज्य के राज्यपाल के पास राज्य मंत्रिमंडल द्वारा भेजी गई सिफारिश को बिना फैसला लिए राष्ट्रपति को भेजने की शक्ति है ? 

Advertisement

पिछले AIADMK कैबिनेट ने सितंबर, 2018 में एक प्रस्ताव पारित किया था और पेरारिवलन सहित उम्रकैद की सजायाफ्ता सभी सात  दोषियों की समयपूर्व रिहाई का आदेश देने के लिए तत्कालीन राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को अपनी सिफारिश भेजी थी . लेकिन राज्यपाल के फैसला ना करने पर पेरारिवलन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. पेरारीवलन के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा था, राज्य के राज्यपाल द्वारा अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नोट किया है कि राज्यपाल ने मामले को राष्ट्रपति के पास भेज दिया है . दोषी ने 36 साल जेल में बिताए हैं, उसे रिहा करने के लिए यह एक उपयुक्त मामला है.

Advertisement

TN सरकार के लिए राकेश द्विवेदी ने कहा कि यदि संवैधानिक मामले शामिल हैं, तो उन्हें राष्ट्रपति के पास भेजा जा सकता है लेकिन केवल बिलों के लिए. केंद्र के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने दलील दी कि अनुच्छेद 72 के तहत, राष्ट्रपति को राज्यपाल के फैसले तय करने होते हैं. राष्ट्रपति के पास शक्ति है और इसे क़ानून और दिशानिर्देशों में निर्धारित किया गया था. याचिकाकर्ता के लिए गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि यदि इस तर्क को स्वीकार करना है, तो हर आपराधिक सजा का फैसला केंद्र सरकार करेगी . सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सवाल किया था कि जो लोग 25 साल से अधिक समय से जेल में हैं, हम उन्हें रिहा क्यों नहीं करते और मामलों का निपटारा क्यों नहीं करते?  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र के फैसले के दूरगामी प्रभाव होंगे और केंद्र को इस मुद्दे पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए और समय दिया था . 

Advertisement

ये भी पढ़ें-

ये भी देखें-"भाषा अनेक, भाव एक" : डेनमार्क में भारतीयों को संबोधित करते हुए बोले पीएम मोदी

Featured Video Of The Day
Champions Trophy के न्यूट्रल वेन्यू का ऐलान, Boxing Day Test के लिए क्या है Team India का Plan?
Topics mentioned in this article