सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ में रिहायशी इकाइयों को फ्लोर-वाइज अपार्टमेंट में बदलने पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार द्वारा पूर्वोक्त अंतिम निर्णय नहीं लिया जाता है, तब तक चंडीगढ़ प्रशासन किसी भी योजना को मंजूरी नहीं देगा, जिसका तौर-तरीका एक ही आवास को तीन अजनबियों के कब्जे वाले तीन अलग-अलग अपार्टमेंट में बदलना है...

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कोर्ट ने कहा कि सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच एक 'उचित संतुलन' बनाने की भी आवश्यकता है.
नई दिल्ली:

देश के पहले नियोजित शहर चंडीगढ़ की विरासत बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला दिया है. अदालत ने चंडीगढ़ शहर के फेज-1 में एकल आवासीय इकाइयों को फ्लोर वाइज अपार्टमेंट में बदलने पर रोक लगा दी है. फेज-1 में एक समान अधिकतम ऊंचाई के साथ मंजिलों की संख्या तीन तक सीमित की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये रोक भारत के पहले नियोजित शहर की विरासत की स्थिति के साथ-साथ स्थिरता के सिद्धांत के मद्देनज़र जरूरी है. कोर्ट ने कहा कि सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच एक 'उचित संतुलन' बनाने की भी आवश्यकता है. 

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा, 'यह देखते हुए कि यूनियन टेरटरी एडमिनिस्ट्रेशन ने विवादास्पद चंडीगढ़ अपार्टमेंट रूल्स, 2001 को निरस्त कर दिया चुका है, जिसमें इस प्रैक्टिस को रेगुलराइज़ करने की मांग की गई थी. प्रासंगिक अधिनियमों और नियमों के आलोक में और 2001 के नियमों के निरसन के मद्देनजर, चंडीगढ़ के पहले चरण में आवासीय इकाई का कोई भी विखंडन, विभाजन, द्विभाजन और अपार्टमेंटकरण निषिद्ध है."

दरअसल, 2001 के नियमों की घोषणा के बाद केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में आवासीय भूखंडों को अपार्टमेंट के रूप में निर्माण या उपयोग करने की अनुमति दी गई थी. लेकिन, चंडीगढ़ प्रशासन को इस आधार पर गंभीर सार्वजनिक विरोध का सामना करना पड़ा था. विरोध करने वालों का तर्क था कि इस तरह की ' प्रथा' शहर के चरित्र को पूरी तरह से बदल देगी. मौजूदा बुनियादी ढांचे और सुविधाओं को खत्म कर देगी. नतीजतन, नियमों को अक्टूबर 2007 में एक अधिसूचना द्वारा रद्द कर दिया गया था. 

हालांकि, अपीलकर्ता रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने दावा किया था कि प्रशासन ने आवासीय इकाइयों को चुपके से अपार्टमेंट में परिवर्तित करने के लिए आंखें मूंद लीं, भले ही उक्त नियमों को वापस ले लिया गया हो. यह आरोप लगाया गया था कि प्रतिबंध होने के बावजूद, बिल्डर और डेवलपर्स नियमित रूप से तीन व्यक्तियों या परिवारों को पूरी आवासीय इकाइयों के स्वतंत्र FAR (फ्लोर एरिया रेशियो) बेचते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने एसोसिएशन की अपील को स्वीकार कर लिया. कोर्ट ने एकल आवासीय इकाइयों को अपार्टमेंट में बदलने पर रोक लगाने के अलावा चंडीगढ़ हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी ( CHCC) को चंडीगढ़ के फेज एक में री-डेंसिफिकेशन के मुद्दे पर विचार करने का भी निर्देश दिया. प्रशासन को चंडीगढ़ मास्टर प्लान (सीएमपी-2031) और चंडीगढ़ भवन नियम, 2017 में संशोधन करने पर विचार करने का निर्देश दिया गया है. हालांकि, ऐसे संशोधनों को अधिसूचित किए जाने से पहले केंद्र सरकार की अनुमति प्राप्त करनी होगी.

पीठ ने कहा है कि जब तक केंद्र सरकार द्वारा इस संबंध में अंतिम निर्णय नहीं लिया जाता है, तब तक चंडीगढ़ प्रशासन किसी भी योजना को मंज़ूरी नहीं देगा, जिसके तौर-तरीके एक ही आवास को तीन अजनबियों के कब्जे वाले तीन अलग-अलग अपार्टमेंट में बदलना है. अदालत द्वारा अन्य निर्देश भी जारी किए गए, जिनमें केंद्र सरकार और चंडीगढ़ प्रशासन को FAR फ्रीज करने और इसे आगे नहीं बढ़ाने का निर्देश शामिल है.

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स्पष्ट रूप से कहा गया है कि फेज एक में एक समान अधिकतम ऊंचाई के साथ मंजिलों की संख्या तीन तक सीमित होगी, जैसा कि विरासत समिति द्वारा उचित समझा जाएगा. जस्टिस गवई ने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन विरासत समिति के पूर्व परामर्श और केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति के बिना सरकारी नियमों या उपनियमों का सहारा नहीं लेगा. 

एसोसिएशन ने इससे पहले पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का रुख किया था, लेकिन वहां से सीमित राहत मिलने के कारण उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. पीठ ने यह भी कहा है कि यह सही समय है कि केंद्र और राज्य स्तर पर विधायिका, कार्यपालिका और नीति निर्माता अव्यवस्थित विकास के कारण पर्यावरण को होने वाले नुकसान पर ध्यान दें. यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय करें कि विकास पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाए.

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पीठ ने उचित सरकारी शाखाओं से शहरी विकास की अनुमति देने से पहले पर्यावरणीय प्रभाव आकलन करने के लिए आवश्यक प्रावधानों को लागू करने का आग्रह किया है. पीठ ने कहा है कि हमें उम्मीद है कि भारत सरकार और साथ ही राज्य सरकारें इस संबंध में गंभीर कदम उठाएंगी. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले की प्रति भारत सरकार के कैबिनेट सचिव और सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को देने के लिए कहा है.

चंडीगढ़ शहर पर अपना फैसला देते हुए जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस बी वी नागरत्ना ने अपने 131 पेज के फैसले में चंडीगढ़ के इतिहास और विरासत को उकेरा है. फैसले की शुरुआत में लिखा है, "इसे एक नया शहर होने दें, अतीत की परंपराओं से मुक्त भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक ... भविष्य में राष्ट्र की आस्था की अभिव्यक्ति" ये भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के शब्द थे, जब उन्होंने पंजाब राज्य की राजधानी के लिए एक नए शहर के संस्थापक सिद्धांतों की स्थापना की थी.

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इसके बाद चंडीगढ़ के बसने के बारे में बताया है कि भारत को वर्ष 1947 में स्वतंत्रता मिलने के बाद, पंजाब सरकार ने भारत सरकार के परामर्श से मार्च 1948 में राज्य की नई राजधानी के लिए साइट को मंज़ूरी दी. नए शहर को फ्रांसीसी वास्तुकार ले कोर्बुज़िए ने अन्य आर्किटेक्ट पियरे जेनेरेट, जेन बी ड्रू और मैक्सवेल फ्रे के साथ मिलकर डिजाइन किया था. शहर की योजना शहरी डिजाइन, भूनिर्माण और वास्तुकला के जीवंत उदाहरण के रूप में बनाई गई थी.

ले कोर्बुज़िएर ने योजना में प्रकाश, अंतरिक्ष और हरियाली के सिद्धांतों को शामिल किया और मानव शरीर को एक रूपक के रूप में इस्तेमाल किया - 'सिर' में कैपिटल कॉम्प्लेक्स था, 'दिल' वाणिज्यिक केंद्र था, यानी सेक्टर 17, फेफड़े ( लेजर वैली, असंख्य खुले स्थान और सेक्टर हरियाली), बुद्धि (सांस्कृतिक और शैक्षिक संस्थान), विसरा (औद्योगिक क्षेत्र), और ' हाथ'  अकादमिक और ओपन कोर्टयार्ड जैसी सुविधाएं आदि हैं. सरकुलेशन सिस्टम की कल्पना सड़कों के सात प्रकार होने के रूप में की गई थी, जिन्हें 7V के रूप में जाना जाता है. चंडीगढ़ की परिकल्पना एक प्रशासनिक शहर के रूप में की गई है, जिसमें जनसंख्या का पदानुक्रमित वितरण ऐसा है कि उत्तरी क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व कम है, जो दक्षिणी क्षेत्रों की ओर बढ़ता है.

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चंडीगढ़ को एक कम वृद्धि वाले शहर के रूप में नियोजित किया गया है, और इतना विकसित किया गया है कि इसकी स्थापना के साठ साल बाद भी यह काफी हद तक मूल अवधारणा को बरकरार रखता है. इस तरह इस "खूबसूरत शहर" की अवधारणा का जन्म हुआ. चंडीगढ़ शहर को दो चरणों में विकसित किया गया था, फेज I में सेक्टर 1 से 30 और फेज II में सेक्टर 31 से 47 थे. फेज I को 1,50,000 की कुल आबादी के लिए कम ऊंचाई वाले प्लॉट वाले विकास के लिए डिज़ाइन किया गया था. फेज II क्षेत्रों में फेज I क्षेत्रों की तुलना में बहुत अधिक घनत्व होना था.

1952 में भारत सरकार ने चंडीगढ़ शहर में विकास को विनियमित करने के लिए, पंजाब की राजधानी (विकास और विनियम) अधिनियम, 1952 (इसके बाद "1952 अधिनियम" के रूप में संदर्भित) अधिनियमित किया. 1960 में, पंजाब सरकार ने, 1952 कानून की धारा 5 और 22 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, चंडीगढ़ (स्थलों और भवनों की बिक्री) नियम, 1960 (बाद में "1960 नियम" के रूप में संदर्भित) बनाए. 1960 के नियमों का नियम 14 किसी साइट या इमारत के हिस्सा करने या समामेलन पर रोक लगाता है.

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