- सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के नीतीश कटारा हत्याकांड के दोषी सुखदेव यादव की रिहाई का आदेश दिया है.
- कोर्ट ने बताया कि सुखदेव यादव ने मार्च 2025 में अपनी 20 साल की सजा पूरी कर ली है.
- सजा समीक्षा बोर्ड ने सुखदेव की सजा माफी याचिका खारिज की थी, लेकिन SC ने बोर्ड की कार्रवाई पर आश्चर्य जताया.
2002 के नीतीश कटारा हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. दोषी सुखदेव यादव उर्फ पहलवान की रिहाई का आदेश दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने इस साल मार्च में अपनी 20 साल की सजा पूरी कर ली है. पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने उसे उसकी सजा माफी याचिका लंबित रहने तक के लिए फरलो दिया था. अब अंतिम राहत के तौर पर सुप्रीम कोर्ट ने उसकी रिहाई का निर्देश दिया है. सजा समीक्षा बोर्ड ने यादव के आचरण का हवाला देते हुए उसकी सजा माफी याचिका खारिज कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड की कार्रवाई पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि वह अदालत द्वारा पारित आदेश को कैसे दबा सकता है.
अगर यही रवैया रहा तो हर दोषी जेल में ही मरेगा
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि न्यायिक प्राधिकारी के आदेश को कैसे दबा सकता है. अगर यही रवैया रहा तो हर दोषी जेल में ही मरेगा. यह कार्यपालिका का कैसा आचरण है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यादव को 20 साल की सजा पूरी होने के बाद रिहा किया जाना चाहिए था.
सुखदेव के वकील ने कहा- 9 मार्च 2025 को सजा पूरी कर ली है
दिल्ली सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अर्चना पाठक दवे ने तर्क दिया कि 20 साल की सजा के बाद स्वतः रिहाई नहीं हो सकती और आजीवन कारावास का अर्थ है शेष प्राकृतिक जीवन तक जेल में रहना. वहीं यादव की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ मृदुल ने दलील दी कि उनके मुवक्किल ने 9 मार्च, 2025 को सजा पूरी कर ली है. उन्होंने यादव को 9 मार्च से आगे हिरासत में रखने के किसी भी वैध औचित्य से इनकार किया और कहा कि दिल्ली सरकार की सजा की व्याख्या गलत है.
सुप्रीम कोर्ट ने सुखदेव को पहले 3 महीने की फरलो दी थी
सर्वोच्च न्यायालय ने पहले यादव को तीन महीने की फरलो दी थी, यह देखते हुए कि उन्होंने बिना किसी छूट के 20 साल की निर्बाध कैद काट ली है. फरलो जेल से एक अस्थायी रिहाई है, न कि पूरी सज़ा का निलंबन या छूट, और आमतौर पर लंबी अवधि के कैदियों को दी जाती है, जिन्होंने अपनी सज़ा का एक हिस्सा पूरा कर लिया है.