संरक्षित ताज ट्रेपेजियम जोन में पेड़ों की कटाई मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिए जांच के आदेश

पीठ ने यह भी आदेश दिया कि उसके आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि ताज ट्रेपेजियम प्राधिकरण को पुलिस की सहायता से क्षेत्र में आगे पेड़ों की कटाई को रोकना चाहिए.

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(फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने ताज ट्रेपेजियम प्राधिकरण को संरक्षित क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह सत्यापित करने के लिए कहा है कि पेड़ों की कटाई हुई है कि नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने  तीन हफ्तों के अंदर इस जांच को पूरा करने के आदेश दिए हैं. जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने मंगलवार को कहा कि ताज ट्रेपेजियम प्राधिकरण अपने अधिकारियों को तुरंत साइट पर भेजें. 

पीठ ने यह भी आदेश दिया कि उसके आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि ताज ट्रेपेजियम प्राधिकरण को पुलिस की सहायता से क्षेत्र में आगे पेड़ों की कटाई को रोकना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि ताज ट्रेपेजियम क्षेत्र में आने वाली भूमि पर अनधिकृत वृक्ष कटाई की गई थी.

ताज ट्रेपेजियम जोन उत्तर प्रदेश के आगरा में ताजमहल और अन्य विरासत स्मारकों के आसपास 10,400 वर्ग किलोमीटर का संरक्षित क्षेत्र है. इन ऐतिहासिक स्थलों को खतरे में डालने वाले प्रदूषण और पर्यावरणीय गिरावट को रोकने के लिए इसकी स्थापना की गई थी. अदालत ने 1996 में TTZ में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण का निर्देश दिया था. इसके अतिरिक्त, इसने 200 से अधिक प्रदूषणकारी उद्योगों को बंद करने या स्थानांतरित करने का आदेश दिया और CNG या LPG जैसे स्वच्छ ईंधन पर स्विच करने का आदेश दिया.

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SC ने वाहनों की आवाजाही को भी प्रतिबंधित कर दिया, बैटरी से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा दिया और ताजमहल की सुरक्षा के लिए स्मारक के पास निर्माण और खनन गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है. 5 मार्च को मामले की सुनवाई के दौरान, पीठ ने 11 दिसंबर, 2019 को SC द्वारा पारित एक आदेश पर कड़ी आपत्ति जताई थी, जिसमें न्यायालय से पूर्व मंजूरी की आवश्यकता के बिना कृषि-वानिकी के लिए पेड़ों की कटाई की अनुमति दी गई थी.

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इसके बाद पीठ ने आदेश पर पुनर्विचार करने के लिए नोटिस जारी किया था, जिसमें सवाल उठाया गया था कि ऐसी छूट कैसे दी जा सकती है, जबकि दो या तीन पेड़ रखने वाले एक आम नागरिक को भी उन्हें काटने के लिए अनुमति की आवश्यकता होती है. इस मुद्दे पर 25 मार्च को विचार किया जाएगा.

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