- सुप्रीम कोर्ट ने कथित फर्जी मुठभेड़ में मारे गए माओवादी कमांडर के शव को संरक्षित रखने का आदेश दिया.
- कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले तक शव का अंतिम संस्कार या दाह संस्कार रोकने का निर्देश जारी किया.
- याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उनके पिता को प्रताड़ित कर फर्जी मुठभेड़ में हत्या की गई और पुलिस शव छुपा रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ पुलिस को नारायणपुर जिले में कथित फर्जी मुठभेड़ में मारे गए शीर्ष माओवादी कमांडर कथा रामचंद्र रेड्डी के शव को संरक्षित करने का निर्देश दिया है.जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कहा कि जब तक फर्जी मुठभेड़ और यातना का आरोप लगाने वाली याचिका पर हाई कोर्ट फैसला नहीं कर लेगा तब तक शव को न तो दफनाया जाएगा और न ही उसका दाह संस्कार किया जाएगा.
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फर्जी मुठभेड़ में हत्या का आरोप
बेंच ने निर्देश दिया कि जब तक हाई कोर्ट याचिका पर फैसला नहीं सुना देता, तब तक शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा. बेंच ने कोर्ट से अनुरोध किया कि वह दुर्गा पूजा की छुट्टियों के बाद पुनः कार्यवाही शुरू होने पर याचिका पर विचार करे. याचिकाकर्ता राजा चंद्रा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने दलील दी कि उनके पिता को कथित तौर पर प्रताड़ित किया गया और फर्जी मुठभेड़ में उनकी हत्या कर दी गई. पुलिस अब शव को ठिकाने लगाने की कोशिश कर रही है.
सात राज्यों ने रखा था 7 करोड़ रुपये का इनाम
राज्य पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मुठभेड़ में दो व्यक्ति मारे गए थे. याचिकाकर्ता के पिता पर सात राज्यों ने सात करोड़ रुपये का इनाम रखा था. उन्होंने बेंच को बताया कि उसी मुठभेड़ में मारे गए एक माओवादी का शव उसके परिवार को दे दिया गया और उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया, जबकि याचिकाकर्ता के पिता का शव अस्पताल में है.
मुठभेड़ की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग
तुषार मेहता ने कहा कि पोस्टमार्टम का वीडियो रिकॉर्ड किया गया है. पुलिस पर किसी भी तरह की दुर्भावना का आरोप नहीं लगाया जा सकता. बेंच ने कहा कि याचिका में अनुरोध किया गया है कि कथित फर्जी मुठभेड़ मामले की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए, जिसके लिए प्राथमिकता सीबीआई है और उसमें छत्तीसगढ़ के अधिकारी शामिल न हों, साथ ही फिर से पोस्टमार्टम कराने को भी कहा गया है.
बेंच ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन मामले को तत्काल सूचीबद्ध नहीं किया जा सका क्योंकि हाई कोर्ट में अवकाश होने वाला था और इसलिए उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. बेंच ने इन निर्देशों के साथ याचिका का निपटारा कर दिया.
इनपुट- भाषा के साथ