गंगा में तैरते शवों और कोविड से मौत होने पर शवों के उचित दाह संस्कार पर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि हम मानते हैं यह गंभीर समस्या है. अदालत ने याचिकाकर्ता को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जाने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि NHRC ने इसे लेकर कुछ निर्देश जारी किए हैं. इस मामले में NHRC ने हाइकोर्ट में भी अपना पक्ष रखा था. NHRC ने हाल ही में मृतकों के सम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए एक एडवाइजरी भी जारी की थी. इसको देखते हुए याचिकाकर्ता की इस मामले को लेकर NHRC के पास जाने को कहा है.
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दरअसल याचिकाकर्ता ने मृतकों के अधिकारों की रक्षा के लिए नीति बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इसमें शवों के अंतिम संस्कार समेत अन्य सुविधाओं को सुनिश्चित करने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया है कि केंद्र को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश देने को कहा जाए कि कोरोना वायरस के कारण मरने वालों के अंतिम संस्कार के लिए दर निर्धारित हो, एम्बुलेंस सेवाओ के लिये भी दिशानिर्देश निर्धारित किए जाएं. साथ ही तय दिशा निर्देशों का ना पालन करने पर दंडात्मक कार्रवाई करने का प्रवधान किया जाए.
इस याचिका में कहा गया है कि पैसे के अभाव में लोगों शव गंगा जैसी नदियों में फेंक देते हैं. इसके अलावा अंतिम संस्कार और एम्बुलेंस के अत्यधिक फीस लेने की वजह से भी लोग शवों को नदी में बहाने को मजबूर हो जाते हैं. याचिकाकर्ता के वकील ने मृतकों के अधिकारों के लिए एक नीति की आवश्यकता पर कहा कि गंगा में शव फेंकने जैसी घटनाएं हुई हैं. इस पर जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा .राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पास जाएं - आप कितने मंचों से संपर्क कर सकते हैं? यह एक गंभीर समस्या है, हम जानते हैं.
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बताते चलें कि अदालत एनजीओ डिस्ट्रेस मैनेजमेंट कलेक्टिव की एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें गंगा में तैरते कई शवों का जिक्र करते हुए कहा गया कि कोरोना से मौत होने पर शवों के गरिमापूर्ण तरीके से अंतिम संस्कार के लिए दिशा- निर्देश जारी किए जाने चाहिए. याचिका में इस संबंध में जारी एनएचआरसी के दिशा-निर्देशों का हवाला दिया गया.