तार्किक निष्कर्ष पर ले जाएंगे...उच्च शिक्षा संस्थानों में जाति आधारित भेदभाव के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट

याचिकाकर्ता रोहित वेमुला और पायल तड़वी की मां की तरफ से वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि कुछ हद तक तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है, क्योंकि पिछले 14 महीनों में पूरे भारत में 18 आत्महत्याएं हुई हैं.

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नई दिल्ली:

उच्च शिक्षा संस्थानों में जाति आधारित भेदभाव के कारण छात्रों की आत्महत्या के मामलों को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. रोहित वेमुला और पायल तड़वी की मां की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आश्वासन दिया कि हम इस मुद्दे से निपटने के लिए एक मजबूत तंत्र बनाएंगे. हम चीजों को तार्किक निष्कर्ष पर ले जाएंगे. मजबूत तंत्र भविष्य की पीढ़ियों की चिंताओं को भी संबोधित करेगा. 

UGC ने कहा कि उसने आम जनता की राय जानने के लिए वेबसाइट पर मसौदा नियम पोस्ट किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि UGC मसौदा नियमों को अंतिम रूप देने के साथ आगे बढ़ सकता है और उसे अधिसूचित कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, नियम टास्क फोर्स द्वारा जो भी सिफारिश की जा सकती है, उसके अतिरिक्त कार्य किया जाएगा.  याचिकाकर्ता की वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि कुछ हद तक तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है, क्योंकि पिछले 14 महीनों में पूरे भारत में 18 आत्महत्याएं हुई हैं.

जस्टिस सूर्यकांत की अगुआई वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने रोहित वेमुला और पायल तड़वी की माताओं द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा. कथित जाति-आधारित भेदभाव के कारण कथित तौर पर आत्महत्या करने पर जिसमें उच्च शिक्षण संस्थानों में जातिगत भेदभाव को समाप्त करने के लिए एक तंत्र की मांग की गई है.  उनके माता-पिता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि जाति-आधारित भेदभाव के कारण बड़ी संख्या में आत्महत्याएं हो रही हैं, जैसे कि वेमुला और तड़वी ने अपनी जान दे दी. 

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