राष्ट्रीय कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में नियुक्तियों के मामले में SC ने फिलहाल दखल से किया इंकार

NCLT बार एसोसिएशन ने ट्रिब्यूनल के खाली पद भरने के लिए 2019 में जारी अधिसूचना को चुनौती दी है, जिसके जरिए 23 सदस्यों की नियुक्ति को गई थी.

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नई दिल्ली:

राष्ट्रीय कम्पनी लॉ ट्रिब्यूनल में नियुक्तियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने NCLT सदस्यों का कार्यकाल 3 साल तय करने वाली अधिसूचना पर फिलहाल दखल देने से इंकार किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिलहाल इस बाबत हम कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं करेंगे. अदालत ने मामले को नियमित बेंच के सामने लिस्ट करने को कहा कि जस्टिस सीटी रवि कुमार और जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कहा कि गर्मी की छुट्टियों के बाद पहले भी इस मामले को सुन चुकी रेगुलर बेंच ही सुनवाई करेगी.इस मामले की अगली सुनवाई 19 जुलाई को रेगुलर बेंच के सामने सूचीबद्ध करने को कहा है.

दरअसल, केंद्र सरकार के कारपोरेट अफेयर्स मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा है कि सरकार इस बारे में गंभीर है, क्योंकि देश की आर्थिक प्रगति में NCLT का बड़ा योगदान है. विभिन्न कंपनियों और कॉरपोरेट जगत के विवाद, दिवालिया, समझौते आदि से संबंधित विवाद 17.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा वो तो ठीक है, लेकिन सरकार ये बताए कि ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष और सदस्यों के वर्षों से खाली पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन कब आमंत्रित किए गए? नियुक्ति के लिए प्रकाशित विज्ञापन में उनके कार्यकाल को लेकर भी कुछ प्रकाशित किया गया था? इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि हमने यही कार्यकाल को लेकर ही तो अर्जी लगाई है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें तो ये भी नहीं पता कि अब अगला सदस्य कब रिटायर होने वाला है? नियुक्तियां कब तक हो पाएंगी. याचिका में कहा गया है कि सदस्य का प्रस्तावित कार्यकाल  65 साल आयु या पांच साल इनमें से जो पहले पूरा हो जाए, होना चाहिए.  पहले ये चार साल था,  सरकार की अधिसूचना में इसे तीन साल तय किए जाने की बात है. इसे ही बार एसोसिएशन ने चुनौती दी है. कोर्ट ने ये भी कहा कि ध्यान इस पर भी दिया जाए कि याचिकाकर्ता बार एसोसिएशन की इस मामले में कानूनी स्थिति क्या है?

दरअसल, NCLT बार एसोसिएशन ने ट्रिब्यूनल के खाली पद भरने के लिए 2019 में जारी अधिसूचना को चुनौती दी है, जिसके जरिए 23 सदस्यों की नियुक्ति को गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य याचिका के साथ NCLT के एक न्यायिक सदस्य की याचिका पर भी सुनवाई नहीं की.  सदस्य का कहना था कि उनको पांच साल नहीं दिए जा रहे हैं. जस्टिस रविकुमार ने कहा कि आपने नियुक्ति के समय शर्तों को मानते हुए दस्तखत किए थे. अब क्यों दिक्कत हो रही है? A. अगर अभी हालिया नियुक्त सदस्य भी अर्जी दाखिल करेंगे तब देखेंगे. कोर्ट में जस्टिस सीटी रवि कुमार ने कहा कि पहले हस्तक्षेप याचिका दाखिल तो कीजिए.तभी तो आप अपना पक्ष रखने की गुहार लगा सकेंगे.  ये बुनियादी चीज न्यायिक सदस्य को बता कर हम आपको और शर्मिंदा नहीं करना चाहते. अगली सुनवाई अब 19 जुलाई को होगी.
 

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