उज्जैन में महाकाल लोक विस्तार पर SC का बड़ा फैसला, तकिया मस्जिद की याचिका पर लगाई फटकार

इसी साल मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भी महाकाल लोक फेज–II परियोजना से जुड़े भूमि अधिग्रहण को बरकरार रखते हुए कई याचिकाएं खारिज कर दी थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता न तो भूमि के मालिक हैं और न ही टाइटल होल्डर, इसलिए वे अधिग्रहण को नहीं, केवल मुआवजे को लेकर संदर्भ मांग सकते हैं

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महाकाल परिसर को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
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  • SC ने उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर विस्तार के लिए भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया
  • कोर्ट ने कहा -याचिकाकर्ता भूमि का मालिक नहीं है इसलिए उसे अधिग्रहण कार्यवाही को चुनौती देने का अधिकार नहीं है
  • महाकाल लोक फेज–II परियोजना से जुड़े भूमि अधिग्रहण विवाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ समाप्त हो गया है
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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (SC) ने उज्जैन में महाकाल मंदिर परिसर के विस्तार पर अपनी मुहर लगा दी है. इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली तकिया मस्जिद की याचिका को भी खारिज कर दिया है. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने साफ कहा कि याचिकाकर्ता केवल एक उपासक है, भूमि का मालिक नहीं, इसलिए उसे अधिग्रहण कार्यवाही को चुनौती देने का अधिकार (लोकस स्टैंडी) नहीं है. सुनवाई के दौरान जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि याचिका में अधिग्रहण की अधिसूचनाओं को सीधे तौर पर चुनौती ही नहीं दी गई है, बल्कि आपत्ति केवल मुआवजा तक सीमित है.ऐसे मामलों में कानून के तहत वैकल्पिक वैधानिक उपाय मौजूद हैं.

पीठ ने सीनियर एडवोकेट हुजेफा अहमदी से कहा कि मुख्य सवाल वही है किअधिग्रहण की कार्यवाही को चुनौती नहीं दी गई है, केवल अवार्ड पर आपत्ति है. अदालत ने माना कि जब याचिकाकर्ता भूमि स्वामी या रिकॉर्डेड टाइटल होल्डर नहीं है, तो वह अधिग्रहण को अवैध बताने का दावा नहीं कर सकता. याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट हुजेफा अहमदी ने तर्क दिया कि भूमि अधिग्रहण, भूमि अधिग्रहण पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 के तहत अनिवार्य सामाजिक प्रभाव आकलन  के बिना किया गया, जिससे पूरी प्रक्रिया अवैध हो जाती है. 

उन्होंने यह भी कहा कि हाईकोर्ट ने गलत मान लिया कि अधिग्रहण की कार्यवाही पहले ही अंतिम रूप ले चुकी है.हालांकि,सुप्रीम कोर्ट इस दलील से सहमत नहीं हुआ.गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट तकीया मस्जिद के ध्वस्तीकरण को चुनौती देने वाली एक अन्य याचिका भी खारिज कर चुका है.उस मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार के इस पक्ष को स्वीकार किया था कि भूमि अधिग्रहित की जा चुकी है, मुआवजा दिया गया है और यदि कोई आपत्ति है तो 2013 के कानून के तहत वैधानिक उपाय अपनाए जा सकते हैं. 

आपको बता दें कि इसी साल मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भी महाकाल लोक फेज–II परियोजना से जुड़े भूमि अधिग्रहण को बरकरार रखते हुए कई याचिकाएं खारिज कर दी थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता न तो भूमि के मालिक हैं और न ही टाइटल होल्डर, इसलिए वे अधिग्रहण को नहीं, केवल मुआवजे को लेकर संदर्भ मांग सकते हैं.याचिका में दावा किया गया था कि संबंधित भूमि 1985 से मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड में दर्ज तकीया मस्जिद की वक्फ संपत्ति है और वक्फ अधिनियम की धारा 91 के तहत वक्फ बोर्ड को सुने बिना अधिग्रहण नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के साथ महाकाल लोक फेज–II परियोजना के लिए तकीया मस्जिद भूमि अधिग्रहण से जुड़ा विवाद समाप्त हो गया है.यह परियोजना उज्जैन में महाकाल मंदिर परिसर और आसपास के सार्वजनिक स्थलों के बड़े पैमाने पर पुनर्विकास से जुड़ी राज्य सरकार की प्रमुख योजना है.

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