"हेट स्‍पीच को लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता" : सुप्रीम कोर्ट

न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा, "जब हेट क्राइम के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है तो ऐसा माहौल बनाया जाता है जो बहुत खतरनाक है और इसे हमारे जीवन में जड़ से खत्म करना होगा."

विज्ञापन
Read Time: 25 mins
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपने नागरिकों को ऐसे किसी भी घृणित अपराध से बचाना राज्य का प्राथमिक कर्तव्य है. 
नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को कहा कि हेट स्‍पीच (Hate Speech) को लेकर आम सहमति बढ़ रही है और भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म के आधार पर हेट क्राइम की कोई गुंजाइश नहीं है. अदालत ने कहा, "हेट स्‍पीच को लेकर कोई समझौता नहीं हो सकता है." शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि राज्य अभद्र भाषा की समस्या को स्वीकार करता है तभी उसका एक समाधान निकाला जा सकता है. साथ ही उसने यह भी कहा कि अपने नागरिकों को ऐसे किसी भी घृणित अपराध से बचाना राज्य का प्राथमिक कर्तव्य है. 

न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा, "जब हेट क्राइम के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है तो ऐसा माहौल बनाया जाता है जो बहुत खतरनाक है और इसे हमारे जीवन में जड़ से खत्म करना होगा. हेट स्‍पीच पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है."

शीर्ष अदालत एक मुस्लिम व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने आरोप लगाया था कि 4 जुलाई, 2021 को धर्म के नाम पर उसके साथ मारपीट और दुर्व्यवहार किया गया. वह अलीगढ़ जाने के लिए नोएडा से एक कार में सवार हुआ था. साथ ही उसने कहा कि पुलिस ने हेट क्राइम कोई शिकायत दर्ज करने की जहमत नहीं उठाई. 

Advertisement

पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज से कहा, "आजकल हेट स्‍पीच फैलाने वाले भाषणों को लेकर आम सहमति बन रही है. भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म के नाम पर हेट क्राइम की कोई गुंजाइश नहीं है. इसे जड़ से खत्म करना होगा और ऐसे किसी भी अपराध से अपने नागरिकों की रक्षा करना राज्य का प्राथमिक कर्तव्य है."

Advertisement

उन्‍होंने कहा, "अगर कोई व्यक्ति पुलिस के पास जाता है और कहता है कि मैंने टोपी पहन रखी थी और मेरी दाढ़ी खींची गई और धर्म के नाम पर गाली दी गई और फिर भी कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई तो यह एक समस्या है." 

Advertisement

शाम 6 बजे तक बैठी पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि क्या आप स्वीकार नहीं करेंगे कि ये हेट क्राइम है और क्‍या आप इसे कारपेट के नीचे दबा देंगे? साथ ही कोर्ट ने कहा कि हम कुछ भी प्रतिकूल नहीं कह रहे हैं, हम केवल अपनी पीड़ा व्यक्त कर रहे हैं. 

Advertisement

याचिकाकर्ता काजिम अहमद शेरवानी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने कहा कि अदालत ने 13 जनवरी को राज्य सरकार से केस की डायरी पेश करने के लिए कहा था. पुलिस ने दो साल बाद प्राथमिकी दर्ज की थी और वह भी एक को छोड़कर सभी जमानती अपराधों के साथ.

केएम नटराज ने स्वीकार किया कि पुलिस अधिकारियों की ओर से चूक हुई थी और कहा कि एसीपी-रैंक के अधिकारी की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल का गठन किया गया है. दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है. 

इस पर कोर्ट ने कहा कि एक उदाहरण पेश करें कि ऐसे अधिकारी कर्तव्य से विमुख नहीं हो सकते, तभी हम विकसित देशों के बराबर आ सकते हैं. जो कोई पुलिस स्टेशन आ रहा है, उसे आरोपी जैसा महसूस नहीं कराया जाना चाहिए. 

केएम नटराज ने कहा कि 4 जुलाई 2021 को जब कथित घटना हुई थी, पीड़ित नोएडा के सेक्टर 37 में एक पुलिस चौकी गया, जहां कोई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी नहीं बल्कि कांस्टेबल मौजूद थे. इसलिए, कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई थी. 

केएम नटराज ने कहा, "फिर वह जामिया नगर में अस्पताल गया और दिल्ली पुलिस को बयान दिया कि उसे लूटा गया, हमला किया गया और चोटें आईं. उसने कहीं नहीं कहा कि यह हेट क्राइम का मामला था या उस पर इसलिए हमला किया गया क्योंकि वह मुस्लिम था." 

ये भी पढ़ें :

* सुप्रीम कोर्ट का प्रिंटेड कॉपी ऑफ इलेक्‍टोरल रोल पर आपत्ति जताने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार
* एल विक्टोरिया गौरी विरोध के बावजूद मद्रास हाईकोर्ट की जज नियुक्त, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
* सुप्रीम कोर्ट को मिले 5 नए जज, CJI चंद्रचूड़ ने दिलाई शपथ - जानें इनके बारे में

Featured Video Of The Day
UP News: DJ की आवाज नहीं हुई बर्दाश्त... दलित दूल्हे की बीच सड़क पर पटककर पीटा | News Headquarter