डिफॉल्ट बेल के प्रावधानों पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, जांच एजेंसियों को दिए ये निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बिना जांच पूरी किए एजेंसियों को चार्जशीट दाखिल नहीं करनी चाहिए, वो भी सिर्फ इसलिए कि आरोपी को डिफाल्ट जमानत ना मिले.

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सुप्रीम कोर्ट का डिफॉल्ट बेल मामले में अहम फैसला

डिफॉल्ट बेल के प्रावधानों पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बिना जांच पूरी किए एजेंसियों को चार्जशीट दाखिल नहीं करनी चाहिए, वो भी सिर्फ इसलिए कि आरोपी को डिफाल्ट जमानत ना मिले. जांच एजेंसी द्वारा जांच पूरी किए बिना चार्जशीट दाखिल ना करें. जांच एजेंसी द्वारा जांच पूरी किए बिना चार्जशीट दाखिल करने से आरोपी के डिफ़ॉल्ट बेल पाने के अधिकार समाप्त नहीं होंगे. निचली अदालत ऐसे मामलों में जमानत दे सकती है. साथ ही जांच एजेंसी को आरोपी को डिफ़ॉल्ट जमानत से इनकार करने के लिए जांच पूरी किए बिना अदालत में चार्जशीट दाखिल नहीं करनी चाहिए 

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला उस मामले में दिया जहां आरोपी को डिफॉल्ट बेल देने से इस वजह से मना कर दिया गया कि इस मामले में अभी पूरी चार्जशीट फाइल नहीं की गई है.  जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस सीटी रविकुमार की टपीठ ने रेडियस ग्रुप की रितु छाबरिया द्वारा दायर एक रिट याचिका पर विचार करते हुए यह आदेश दिया. याचिका पर विचार करते हुए ट पीठ ने रितु की अंतरिम जमानत के आदेश को नियमित जमानत में तब्दील कर दिया.

 बेंच ने कहा कि उसने CrPC  के इतिहास और डिफ़ॉल्ट जमानत के लिए CrPCकी धारा 167 में संशोधन पर विचार किया है. अगर जांच एजेंसी जांच पूरी किए बिना चार्जशीट दाखिल करती है, तो इससे अभियुक्त का डिफ़ॉल्ट जमानत का अधिकार समाप्त नहीं हो जाएगा. ऐसे मामलों में ट्रायल कोर्ट गिरफ्तार व्यक्ति को डिफ़ॉल्ट जमानत का विकल्प चुने बिना  अधिकतम निर्धारित समय से ज्यादा तक   तक रिमांड पर नहीं रख सकता है .

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