न्यायिक अधिकार का विवेकपूर्ण अभ्यास होना चाहिए: जज के रेलवे से सफाई मांगने पर बोले CJI

इलाहाबाद हाईकोर्ट जज जस्टिस गौतम चौधरी अपनी पत्नी के साथ पुरुषोत्तम एक्सप्रेस से दिल्ली से प्रयागराज की यात्रा कर रहे थे. ट्रेन 3 घंटे लेट थी. ऐसे में जज और उनकी पत्नी को नाश्ता नहीं मिला. जज ने पैंट्री कार मैनेजर को फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुई.

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प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज को ट्रेन में असुविधा होने पर रेलवे से स्पष्टीकरण मांगने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया है. प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने इस मामले में हाईकोर्ट रजिस्ट्रार के रेलवे अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगने पर आपत्ति जताई है. सीजेआई चंद्रचूड़ ने सभी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखी है.

सीजेआई ने लिखा- 'हाईकोर्ट के एक अधिकारी द्वारा रेलवे महाप्रबंधक को संबोधित पत्र ने न्यायपालिका के भीतर और बाहर दोनों जगह उचित बेचैनी को जन्म दिया है. 'प्रोटोकॉल सुविधाएं' जो जजों को उपलब्ध कराई जाती हैं, उनका उपयोग विशेषाधिकार के दावे पर जोर देने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.' 

शीर्ष अदालत ने कहा, 'न्यायिक अधिकार का एक विवेकपूर्ण अभ्यास, बेंच के अंदर और बाहर दोनों जगह होना चाहिए. यही वह चीज़ है, जो न्यायपालिका की विश्वसनीयता और वैधता और समाज को उसके न्यायाधीशों पर विश्वास को कायम रखती है.'

दरअसल, मामला 8 जुलाई, 2023 का है. इलाहाबाद हाईकोर्ट जज जस्टिस गौतम चौधरी अपनी पत्नी के साथ पुरुषोत्तम एक्सप्रेस से दिल्ली से प्रयागराज की यात्रा कर रहे थे. ट्रेन 3 घंटे लेट थी. ऐसे में जज और उनकी पत्नी को नाश्ता नहीं मिला. जज ने पैंट्री कार मैनेजर को फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुई.

जज के संदेश भेजने के बाद भी पैंट्री कार से कोई कर्मचारी नहीं आया. न ही GRP का कोई जवान दिखा. इसके बाद, उत्तर मध्य रेलवे के जनरल मैनेजर को आदेश दिया है कि वो संबंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगे और रिपोर्ट दें.

इसको लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार प्रोटोकॉल आशीष कुमार श्रीवास्तव ने उत्तर मध्य रेलवे के जनरल मैनेजर को लेटर भेजा है. इसमें आदेश दिया है कि वो रेलवे के जिम्मेदार अधिकारियों, जीआरपी के अधिकारियों और पेंट्री कार संचालक से स्पष्टीकरण मांगे. इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया है.

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