सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (MCC) को फटकार लगाते हुए निर्देश दिया कि यह सुनिश्चित किया जाए कि एक भी राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (स्नातकोत्तर) और NEET PG सीट बेकार नहीं जाए. कोर्ट ने मेडिकल छात्रों के भविष्य के साथ खेलने के लिए बोर्ड की आलोचना की.
शीर्ष अदालत ने एमसीसी को अखिल भारतीय कोटा की खाली सीट पर उम्मीदवारों के लिए अलग से विशेष काउंसलिंग का आयोजन करने को कहा. साथ ही उन्होंने याचिका पर एक हलफनामा भी दायर करने का निर्देश दिया.
जस्टिस एमआर शाह और अनिरुद्ध बोस की अवकाश पीठ ने एमसीसी और केंद्र के वकील से आज दिन के दौरान एक हलफनामा दाखिल करने को कहा, जिसमें ये बताया जाए कि सीटें खाली क्यों हैं? अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए गुरुवार का दिन सूचीबद्ध किया है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 1,456 सीटें खाली रहने पर नाराजगी जताई.
एमसीसी की ओर से पेश वकील ने इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा. एमसीसी के वकील ने यह भी कहा कि 2022 की काउंसलिंग में देरी होगी और इसका व्यापक प्रभाव होगा.
अदालत ने यह जानने की कोशिश की कि कोई सुव्यवस्थित प्रक्रिया क्यों नहीं है और सवाल किया, "क्या आप छात्रों के तनाव के स्तर को जानते हैं?"
अदालत ने निराशा व्यक्त की जब यह पता चला कि एमसीसी को मई में खाली सीटों के बारे में पता था. कोर्ट ने पूछा, "जब हमें डॉक्टरों और सुपर-विशेषज्ञों की आवश्यकता होगी तो सीटें खाली रखने से आपको क्या मिलेगा?"
अदालत प्रतिवादी-चिकित्सा परामर्श समिति (एमसीसी) को निर्देश देने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, ताकि उम्मीदवारों को रिक्त सीटों पर भाग लेने की अनुमति देने के लिए काउंसलिंग का एक विशेष दौर आयोजित किया जा सके, जो कि ऑल इंडिया कोटा के स्ट्रे वैकेंसी राउंड के बाद उपलब्ध है.
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अधिवक्ता मिलिंद कुमार ने याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता NEET-PG 2021-22 में उपस्थित हुए और ऑल इंडिया कोटा (AIQ) काउंसलिंग और स्टेट कोटा काउंसलिंग के राउंड 1 और 2 में भाग लिया, जिसके बाद ऑल इंडिया मॉप-अप और स्टेट मॉप-अप राउंड हुए और 7 मई को संपन्न हुए.
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वर्तमान रिट याचिका दायर करने के लिए कार्रवाई का कारण 11 मई, 2022 को उत्पन्न हुआ, जब याचिकाकर्ताओं को उनके द्वारा दायर आरटीआई का जवाब मिला. जिसमें कहा गया था कि "ऑनलाइन आवंटन प्रक्रिया के समय सभी चिकित्सा/दंत चिकित्सा पोस्ट-स्नातक की सीटें समाप्त हो गई थीं, लेकिन बाद में शामिल नहीं होने, इस्तीफे और गैर-सूचना के कारण कुछ सीटें खाली रह गईं. हालांकि, आधिकारिक डेटा नहीं दिया गया."
इसलिए, याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से एमसीसी को खाली सीटों की सही संख्या बताने और उम्मीदवारों को इन सीटों के लिए विशेष काउंसलिंग की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की है.
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