SC Hearing on Waqf Act 2025: वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई. CJI बी आर गवई, जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस के विनोद के चंद्रन की बेंच में तीन दिनों चली मैराथन सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. बुधवार की सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता दलीलें पेश कर रहे हैं. दूसरी ओर याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल दलीलें दे रहे हैं. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने ईश्वर औऱ दान वाली दलीलें भी दी.
वक्फ कानून पर सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित
वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई पूरी हो गई है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. अब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि वक्फ कानून 2025 पर अंतरिम रोक लगाइ जाए या नहीं. तीन दिनों की मैराथन सुनवाई में सभी पक्षों की दलीलें पूरी हुई. जिसके बाद CJI बी आर गवई और जस्टिस ए जी मसीह की बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा.
तमिलनाडु में चोल राजाओं द्वारा बनाए मंदिर का भी आया जिक्र
सुनवाई के दौरान तमिलनाडु के एक गांव में चोल राजाओं द्वारा बनाए गए मंदिर का जिक्र भी आया. दरअसल एक महिला वकील ने तमिलनाडु के एक गांव में चोल राजाओं के बनाए डेढ़ हजार साल पुराने मंदिर का जिक्र किया. लेकिन पूरे गांव को ही वक्फ घोषित कर दिया गया है.
वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई की बड़ी बातें
- कपिल सिब्बल: यह अपरिवर्तनीय है और एक समुदाय का अधिकार छीन लिया जाता है. 200 साल से भी पुराने बहुत से कब्रिस्तान हैं. 200 साल बाद सरकार कहेगी कि यह मेरी ज़मीन है और इस तरह कब्रिस्तान की ज़मीन छीनी जा सकती है?
- CJI: लेकिन अगर आपने इसे 1923 के अधिनियम के तहत पंजीकृत किया था तो ऐसा नहीं है कि 1923 से 2025 तक. ऐसा नहीं है कि 100 साल तक पंजीकरण कभी अस्तित्व में ही नहीं था.
वक्फ बिल की सुनवाई पर कपिल सिब्बल की बड़ी दलीलें
- यह प्रावधान असंवैधानिक है. जांच की कोई समय सीमा तय नहीं है. इसमें 6 महीना या इससे अधिक भी लग सकता है. तबतक मुस्लिम समाज का उस प्रॉपर्टी से अधिकार ख़त्म हो जाएगा.
- वह संपत्ति वक्फ़ की है या नहीं, इसके निर्धारण की कोई प्रक्रिया सुनिश्चित नहीं है. निर्धारण सरकार को ही करना है, निर्धारित होने के बाद राजस्व रिकॉर्ड में बदलाव भी किया जा सकता है. निर्धारण की प्रक्रिया निर्धारित नहीं है. यह पूर्णतया मनमाना है.
- जम्मू कश्मीर में 1 वक्फ पंजीकृत है, यूपी में 0. कल्पना कीजिए कि लखनऊ इमामबाड़ा खत्म हो जाएगा. यह बहुत बड़ी बात है.
कपिल सिब्बल की ऐसी दलीलों पर SG तुषार मेहरा ने कहा कि अदालत को घुमाया जा रहा है. जिस पर कपिल सिब्बल ने कहा- आप सभी बयान देते हैं. और कहते हैं कि हमने अदालत को गुमराह किया.
- CJI: लेकिन कुछ राज्य हैं.. तमिलनाडु, पंजाब, केरल, आदि
- सिब्बल: बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है कि वक्फ बाय यूजर क्या है? 1954 में पहली बार कहा गया कि मुतवल्ली उस तरह का व्यक्ति नहीं है जो रजिस्ट्रेशन कर सके.... और फिर सर्वेक्षण की बात कही गई. 1995 के अधिनियम में पूरी प्रक्रिया है लेकिन कुछ नहीं किया गया. यह राज्यों का काम है, मुतवल्ली का नहीं.
वक्फ कानून की सुप्रीम सुनवाई में जब आया दान का जिक्र
- कपिल सिब्बल ने केंद्र के इस तर्क का खंडन किया कि वक्फ इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है.
- उन्होंने कहा दान इस्लाम के पाँच महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक है.
- वक्फ दान से अलग है, क्योंकि इस्लाम में यह अन्य धर्मों से अलग है.
- दान समुदाय के लिए है लेकिन वक्फ अल्लाह के लिए है.
- केंद्र का तर्क है कि दान सभी के लिए एक है और किसी का नहीं है.
- यह गलत है क्योंकि यह इस्लाम का सिद्धांत है.
- दान किस लिए है? परलोक के लिए.
CJI : यह सभी धर्मों का अभिन्न अंग है.
सिब्बल: लेकिन यह ईश्वर के लिए दान नहीं है. एक बार वक्फ हो जाने पर हमेशा वक्फ ही रहता है.
CJI: हिंदू में मोक्ष की अवधारणा है.
जस्टिस मसीह: वे सभी स्वर्ग जाने का प्रयास कर रहे हैं.
सिब्बल ने कहा कि वक्फ करना इस्लाम का अभिन्न अंग है. इस्लाम के पांच सिद्धांतों में अल्लाह पर ईमान, नमाज, रोजा, हज और जकात यानी दान हैं. यही वक्फ के जरिए होता है परलोक सुधारने के लिए अल्लाह के नाम पर दान.
राजीव धवन - अगर वेदों की बात करें तो मंदिर भी हिंदुओं का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. वेदों के मुताबिक अग्नि, इंद्र, वायु आदि होते थे. मुस्लिम पक्ष के लिए राजीव धवन ने कहा कि वेदों के मुताबिक मंदिर भी हिंदू धर्म के लिए अनिवार्य अंग नहीं हैं. वहां तो प्रकृति की पूजा करने का प्रावधान है अग्नि, जल, वर्षा के देवता हैं. पर्वत, सागर आदि हैं.
- सिब्बल ने कहा पंजीकरण न करने का नतीजा यह नहीं था कि मालिकाना हक छिन जाए क्योंकि 1995 के अधिनियम ने राज्यों पर इसे पंजीकृत करने का दायित्व था. वही 1954 से 2013 तक सिर्फ़ एक राज्य ने सर्वे पूरा किया था. इसमें किसकी गलती है? मुतव्वली की? यह आपका कानून (सरकार)है!
- उन्होंने कहा कि इस कानून को वजह से मुस्लिम समुदाय प्रॉपर्टी से वंचित हो जाएगा क्योंकि राज्य सरकारों ने सर्वे नहीं किया और य़ह कहा जाएगा कि वक्फ रजिस्टर्ड ही नहीं थे. सिब्बल ने कहा कि सरकार के पोर्टल पर कुछ राज्यों में वक्फ नहीं दिखाया गया है. क्या इसका मतलब यह है कि गुजरात में वक्फ नहीं है?
- य़ह राज्यों को करना चाहिए था जो उन्होंने नहीं किया जिसे वह स्वीकार करते हैं और अब वे (सरकार) कहते हैं कि यह आपकी संपत्ति नहीं है. अब आप अपनी गलती पर कानून के ज़रिए फ़ायदा नहीं उठा सकते.
सिब्बल ने कहा यह एक फ़ैसले में तय किया गया है कि रजिस्ट्रेशन ज़रूरी नहीं है. ऐसे मे अगर वक्फ रजिस्टर्ड नहीं है, तो कोई कानून यह कैसे कह सकता है कि वक्फ बाय यूजर द्वारा किया गया वक्फ वैध नहीं है?
CJI ने पूछा कि आप कह रहे हैं कि एक सीधा फ़ैसला है कि वक्फ का रजिस्ट्रेशन ज़रूरी नहीं है?
सिब्बल ने कहा- हां, क्योंकि साक्ष्य के नियम को कानून के माध्यम से य़ह कह्ते हुए खत्म नहीं किया जा सकता कि अगर आपने पंजीकरण नहीं कराया है तो आप वक्फ नहीं हो सकते.
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