सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग के साथ रेप के आरोप में जेल में बंद आसाराम पर डॉक्यूमेंट्री (Asaram Documentary) के चलते खतरे और धमकियों का सामना कर रहे डिस्कवरी चैनल (Discovery Of India) के अधिकारियों और प्रॉपर्टी की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया है. डिस्कवरी कम्युनिकेशन इंडिया और उसके अधिकारियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ये नोटिस जारी किया है. इस याचिका पर सुनवाई CJI संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच कर रही थी.
आसाराम पर डॉक्यूमेंट्री के बाद धमकी का मामला
कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि डिस्कवरी प्लस OTT प्लेटफार्म पर "Cult of Fear- Asaram Bapu" शो रिलीज होने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उन्हें धमकियां मिल रही है, जबकि ये शो पूरी तरह से पब्लिक रिकॉर्ड , कोर्ट रिकॉर्ड और गवाहों के बयान पर आधारित है. आज सुनवाई के दौरान डिस्कवरी की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि शो के रिलीज होने के बाद लगातार मिल रही धमकियों के मद्देनजर ऐसी सूरत में उनके लिए यात्रा करना मुश्किल हो गया है. पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है, जिसके चलते कर्मचारी घर बैठने को मजबूर है.
याचिका में केंद्र सरकार के साथ कर्नाटक, महाराष्ट्र, बंगाल, दिल्ली, हरियाणा, तेलंगाना और उनके पुलिस अधिकारियों को पक्षकार बनाया गया है.
डिस्कवरी इंडिया के कर्मचारियों की सुरक्षा का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया. इस दौरान कोर्ट ने पुलिस ऑथोरिटी को डिस्कवरी इंडिया के कर्मचारियों को सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है, ताकि वे लोग अपने दफ़्तर में काम कर सके. इस मामले पर कोर्ट आगे की सुनवाई मार्च के पहले हफ्ते में करेगा.
'कल्ट ऑफ फियर- आसाराम बापू' डॉक्यूमेंट्री का मामला
- सुप्रीम कोर्ट ने डिस्कवरी कम्युनिकेशंस इंडिया के अधिकारियों और संपत्ति को अंतरिम सुरक्षा देने के आदेश दिया
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र , कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हरियाणा, तेलंगाना सरकारों को नोटिस जारी किया
- 3 मार्च से शुरू होने वाले हफ्ते में होगी सुनवाई
- डिस्कवरी ने कहा है कि डॉक्यूमेंट्री के बाद कंपनी और कर्मचारियों को आसाराम के कथित समर्थकों से धमकियां मिल रही हैं
याचिका में की गई थी क्या मांग?
याचिका में कहा गया था कि 'कल्ट ऑफ फियर- आसाराम बापू' नामक डॉक्यूमेंट्री के रिलीज होने के बाद, ब्रॉडकास्टर्स के सोशल मीडिया अकाउंट पर डिस्कवरी और इससे जुड़े लोगों के खिलाफ कई नफरत भरी टिप्पणियां प्राप्त हुईं. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील अभिनव मुखर्जी ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के लिए देश भर में स्वतंत्र रूप से यात्रा करना कठिन होता जा रहा है. पुलिस ने कुछ नहीं किया. कर्मचारियों से काम पर न आने को कहा गया
हमें अब एक पत्र भी मिला है जिसमें हमें बड़े पैमाने पर आंदोलन की धमकी दी गई है. बता दें कि साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइन जारी की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या निर्देश दिया?
हम पुलिस अधिकारियों से अनुरोध करते हैं कि वे सुनिश्चित करें कि याचिकाकर्ता को कार्यालय का उपयोग करने की अनुमति मिले और याचिकाकर्ताओं को शारीरिक नुकसान पहुंचाने की कोई धमकी न दी जाए.