1995 के कानून को 2025 में क्यों सुनें... वक्फ कानून पर दायर याचिका पर SC ने ऐसा क्यों कहा

वक्फ कानून 1995 (Waqf Law 1995) के विभिन्न प्रावधानों को असंवैधानिक बताते हुए उनको रद्द करने की मांग याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से की है.

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वक्फ कानून 1995 के विभिन्न प्रावधानों को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट में आज वक्फ कानून 1995 (Supreme Court On Waqf Law 1995) के विभिन्न प्रावधानों को रद्द करने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने याचिकाकर्ता पर सवाल उठाते हुए कहा कि 1995 एक्ट को 2025 में क्यों चुनौती दे रहे हैं. क्या इसे 2025 में सुना जाना चाहिए. जिस पर याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को लेकर भी अब सुनवाई कर रहा है. जिसके बाद CJI बीआर गवई ने कहा कि इसे हस्तक्षेप अर्जी के तौर पर सुना जाएगा. 

वक्फ कानून 1995 वाली याचिका पर होगी सुनवाई

वक्फ कानून 1995 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने दूसरी याचिकाओं के साथ जोड़ दिया है. इस याचिका को पारूल खेडा और हरिशंकर जैन की याचिका के साथ जोड़ा गया है, क्यों कि इन याचिकाओं में भी वक्फ कानून 1995 को चुनौती दी गई है. अदालत ने अभी दोनों ही याचिकाओं पर सुनवाई नहीं की है.

प्रावधानों को असंवैधानिक बताते हुए रद्द करने की मांग

वक़्फ क़ानून 1995 के विभिन्न प्रावधानों को रद्द करने वाली याचिका लॉ स्टूडेंट निखिल उपाध्याय की ओर से दायर की गई है. इसमें उन्होंने वक़्फ एक्ट के विभिन्न प्रावधानों को असंवैधानिक बताते हुए उनको रद्द करने की मांग की है. निखिल उपाध्याय की याचिका में कहा गया है कि संशोधन के बावजूद क़ानून के विभिन्न प्रावधान आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन करने वाले है, जो कि मुस्लिम समुदाय को सरकारी और ग़ैर मुस्लिमों की संपत्ति को हथियाने का अधिकार देते है.

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यह अर्जी तो खारिज हो जानी चाहिए

वहीं कोर्ट ने कहा कि हमने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर सुनवाई कर आदेश सुरक्षित रखा है और आप 1995 के कानून को अब चुनौती दे रहे है. देरी के आधार पर ही यह अर्जी खारिज हो जानी चाहिए. हालांकि  वकील अश्विनी उपाध्याय के अनुरोध पर कोर्ट ने कहा कि इस नई अर्जी को वक्फ कानून को लेकर पहले से पेंडिंग केस में हस्तक्षेप  याचिका के तौर पर सुना जाएगा. 

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वक्फ कानून 1995 के कुछ पॉइंट्स

  •  वक्फ बोर्ड के सभी सदस्य मुस्लिम होते थे, जिनमें दो महिलाओं का शामिल होना भी जरूरी था.
  • 1995 के वक्फ कानून में यह साफ नहीं था कि क्या सरकारी ज़मीन वक्फ घोषित हो सकती है.
  • वक्फ संपत्ति की जांच और निर्धारण का अधिकार वक्फ बोर्ड के पास था.
  • वक्फ सर्वे के लिए सर्वे कमीशन और अतिरिक्त आयुक्तों की नियुक्त होती थी.
  • राज्य सरकारें कभी भी वक्फ खातों का ऑडिट करने के लिए स्वतंत्र थीं. 
  •  राज्य में सभी वक्फ संपत्तियों या वक्फ इनकम में शिया वक्फ का हिस्सा 15 प्रतिशत से ज्यादा तो सुन्नी और शिया समुदायों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड बनाने का नियम

बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर इस बात पर फैसला सुरक्षित रख लिया था कि क्या इस पर अंतरिम रोक लगाई जाए या नहीं. 

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वक्फ बोर्ड का इतिहास जानें

ब्रिटिश सरकार ने 1913 में वक्फ बोर्ड को औपचारिक रूप से शुरू किया था. साल 1923 में वक्फ एक्ट बनाया गया था. साल 1954 में आजादी के बाद पहली बार वक्फ अधिनियम संसद से पारित हुआ था. इसके बाद साल 1995 में इसे एक नए वक्फ अधिनियम से बदल दिया गया था, जिसने वक्फ बोर्ड को और ज्यादा शक्तियां मिल गईं. 

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