"नफरती भाषणों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएं सरकार": हेट स्पीच पर SC ने कहा

 सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हम चाहते हैं कि निर्देशों का सही सही पालन हो. निर्देशों का पालन न होने की सूरत में याचिकाकर्ता हाईकोर्ट जा सकते हैं.  हम पूरे भारत में हो रही चीजों पर निगाह नहीं रख सकते."

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कोर्ट ने कहा कि सभी जिलों में डीसीपी के नेतृत्व वाली कमेटी होनी चाहिए.
नई दिल्ली:

हेट स्पीच और उससे उपजी हिंसा से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को व्यवहारिक और शीघ्र सख्त कदम उठाने की जरूरत है. इसके लिए हम अपने फैसले में कुछ बदलाव या ढिलाई नहीं करेंगे. हम उसमें कुछ जोड़ेंगे. सुप्रीम कोर्ट  ने सभी राज्यों से नोडल अधिकारियों की नियुक्ति, सीसीटीवी लगाने आदि के संबंध में जानकारी मांगी. कोर्ट ने कहा कि सभी जिलों में डीसीपी के नेतृत्व वाली कमेटी होनी चाहिए. जहां भी 4 से 5 से अधिक मामले हों, डीसीपी नोडल अधिकारी को सूचित करें. यह सुनिश्चित करने के लिए एक समिति बनाई जाए कि  कोई हेट स्पीच ना हो. 

 सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हम चाहते हैं कि निर्देशों का सही सही पालन हो. निर्देशों का पालन न होने की सूरत में याचिकाकर्ता हाईकोर्ट जा सकते हैं.  हम पूरे भारत में हो रही चीजों पर निगाह नहीं रख सकते.  किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए स्पष्ट कानून है. उसमें चूक होने से गड़बड़ी होती है."

शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसे आयोजनों के दौरान जहां-जहां सीसीटीवी नहीं है, वहां सीसीटीवी लगाए जाएं. अगर कोई सीसीटीवी उपलब्ध नहीं है और कोई विरोध प्रदर्शन या रैलियां अपेक्षित हैं तो सुनिश्चित करें कि वे वीडियो रिकॉर्ड किए गए है. 

पीठ के अगुआ जस्टिस संजीव खन्ना ने सभी राज्यों से सीसीटीवी लगाने और नोडल अफसरों को नियुक्ति के आदेश की अनुपालन की जानकारी मांगी. सभी अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को राज्यों से ये जानकारी एकत्र कर सुप्रीम कोर्ट तक तीन हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट देने की जिम्मेदारी सौंपी है. जो राज्य नहीं कर पाए हैं वो भी हलफनामे में इसकी जानकारी दें. पक्षकार भी अपने सुझाव देंगे.

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