सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर (Mohammad Zubair) को उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश के सीतापुर (Sitapur) में धार्मिक भावनाओं को आहत करने के एक मामले में पांच दिन की अंतरिम जमानत दे दी है. पांच दिन बाद फिर उनकी रेगुलर जमानत पर सुनवाई होगी. जुबैर की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोजाल्विस ने कहा कि हमने बेल ऑर्डर सीतापुर कोर्ट और SP सीतापुर को पहुंचा दिया है. अब सीतापुर पुलिस ज़ुबैर को बेंगलुरु नहीं ले जा सकती.
जमानत देते हुए जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की खंडपीठ ने कहा कि राहत इस शर्त के अधीन है कि वह दिल्ली की अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर नहीं जाएंगे. (जहां एक और प्राथमिकी के संबंध में उनकी आवश्यकता है) और आगे कोई ट्वीट पोस्ट नहीं करेंगे. शुक्रवार शाम को ज़ुबैर को सीतापुर कोर्ट में पेश किया गया. यहां से कोर्ट ऑर्डर लेकर ज़ुबैर को दिल्ली की तिहाड़ जेल भेजा जाएगा.
आदेश में क्या कहा गया है
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि यह अंतरिम जमानत सीतापुर (उत्तर प्रदेश) की 1 जून 2022 की प्राथमिकी के संबंध में है और याचिकाकर्ता के खिलाफ किसी अन्य प्राथमिकी के संबंध में नहीं है. याचिकाकर्ता बैंगलोर (उसके आवास) में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य से छेड़छाड़ नहीं करेगा."
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने प्राथमिकी में जांच पर रोक नहीं लगाई है. अदालत ने प्राथमिकी रद्द करने से इलाहाबाद हाईकोर्ट के इनकार को चुनौती देते हुए जुबैर द्वारा पसंद की गई एसएलपी पर विचार कर रही थी. उत्तर प्रदेश पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 295-ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य, जिसका उद्देश्य किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को उसके धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करना) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करना) के तहत एफआईआर दर्ज की थी.
जुबैर के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने क्या कहा?
आज सुप्रीम कोर्ट में जुबैर की ओर से पेश सीनयर एडवोकेट कॉलिन गोंजाल्विस ने तर्क दिया कि कथित अपराध इसलिए नहीं बनते क्योंकि जुबैर ने केवल धार्मिक संतों द्वारा किए गए "अभद्र भाषा" के खिलाफ आवाज उठाई और खुद इस तरह के कृत्य में शामिल नहीं हुए. हालांकि, जांच अधिकारी की ओर से पेश हुए एएसजी एसवी राजू ने तर्क दिया कि किसी धार्मिक संत को सार्वजनिक रूप से नफरत फैलाने वाला कहने के कृत्य से एक विशेष समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और हिंसा भड़काने की क्षमता है और इस प्रकार, कथित अपराध प्रथम दृष्टया सामने आते हैं. ज़ुबैर की तरफ से पेश हुए वकील कॉलीन गौनजालविस ने अदालत को बताया कि उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है.
सरकारी वकील ने जमानत का किया विरोध
जुबैर की जमानत का विरोध कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से गुजारिश की कि अंतरिम आदेश को सोमवार तक टाल दिया जाए, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए ज़ुबैर को अंतरिम जमानत दे दी.
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