आप क्यों इस्तेमाल हो रहे, पार्टियों को लड़ने दीजिए... जानें सुप्रीम कोर्ट ने ED को क्यों लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने MUDA घोटाला में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को बड़ी राहत दी. पार्वती के खिलाफ जारी ED के समन रद्द करने का फैसला बरकरार रखा गया. सुप्रीम कोर्ट ने फिर से कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इनकार किया. 

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  • मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने राजनीतिक विवादों को सुप्रीम कोर्ट के बाहर मतदाताओं के सामने सुलझाने की सलाह दी.
  • SC ने कर्नाटक HC के तेजस्वी सूर्या के खिलाफ फेक न्यूज मामले में एफआईआर रद्द करने के फैसले को बरकरार रखा.
  • MUDA घोटाले में CM सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के खिलाफ ईडी के समन को SC ने रद्द करने का आदेश बरकरार रखा.
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नई दिल्ली:

देश के मुख्य न्यायाधीश भूषण आर गवई ने सोमवार को राजनीतिक मामले को सुप्रीम कोर्ट लाने पर कड़ा रुख अपनाया. CJI गवई ने तीनों मामलों में दो टूक कहा कि राजनीतिक लड़ाई कोर्ट के बाहर लड़ी जानी चाहिए. राजनीतिक लड़ाई मतदाता के सामने लड़ी जाए. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी नेता तेजस्वी सूर्या को राहत दी और MUDA घोटाला में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को भी.

दरअसल, बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या को राहत बरकरार रखी गई है. फेक न्यूज मामले में FIR रद्द करने का कर्नाटक हाईकोर्ट फैसला बरकरार रखा गया. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार किया है. कर्नाटक सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार भी लगाई.

'हम याचिका खारिज करते हैं...'

CJI बी आर गवई ने कहा कि राजनीतिक लड़ाई मतदाताओं के सामने लड़ें. ये क्या है? हम याचिका खारिज करते हैं. बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या के खिलाफ दाखिल कर्नाटक सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था. कर्नाटक सरकार ने हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी थी, जिसमे हाईकोर्ट ने तेजस्वी सूर्या के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने का आदेश दिया था. तेजस्वी सूर्या पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने हावेरी जिले में एक किसान की आत्महत्या के संबंध में झूठी सूचना फैलाई थी.

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इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने MUDA घोटाला में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को बड़ी राहत दी. पार्वती के खिलाफ जारी ED के समन रद्द करने का फैसला बरकरार रखा गया. सुप्रीम कोर्ट ने फिर से कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इनकार किया. 

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'ED के बारे में कुछ बहुत कठोर कहना पड़ेगा...'

सुप्रीम कोर्ट ने ED को लगाई फटकार, कहा, राजनीतिक लड़ाई मतदाताओं के सामने लड़ी जाए. मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि दुर्भाग्य से मुझे महाराष्ट्र में कुछ अनुभव है. हमें कुछ कहने के लिए मजबूर न करें. वरना हमें प्रवर्तन निदेशालय के बारे में कुछ बहुत कठोर कहना पड़ेगा. मतदाताओं के बीच ये राजनीतिक लड़ाई लड़ी जाए. इसके लिए आपका इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है?

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'हम अपनी अर्जी वापस ले लेंगे..'

इस दौरान ED के लिए ASG एसवी राजू ने कहा कि ठीक है, हम अपनी अर्जी वापस ले लेंगे. लेकिन इसे मिसाल न माना जाए. CJI गवई ने टोका और कहा कि हमें एकल न्यायाधीश के दृष्टिकोण में अपनाए गए तर्क में कोई त्रुटि नहीं दिखती. विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए हम इसे खारिज करते हैं. कुछ कठोर टिप्पणियों से बचने के लिए हमें ASG  का धन्यवाद करना चाहिए.

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दरअसल, हाईकोर्ट से मिली राहत के खिलाफ दाखिल ईडी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था. हाईकोर्ट ने पार्वती के खिलाफ जारी ED के समन को रद्द कर दिया था. मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) द्वारा प्लॉट आवंटन के मामले में  ED ने पार्वती को पूछताछ के लिए समन भेजा था, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट मे पार्वती की ओर से दलील दी गई थी कि उन्होंने सभी 14 प्लॉट को सरेंडर कर दिया था और उनके पास न तो कोई 'तथाकथित अपराध आय' थी और न ही वे इसका उपभोग कर रही थीं.

अब तीसरा मामला पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ दायर अवमानना याचिका का था. सुप्रीम कोर्ट ने फिर टिप्पणी की कि राजनीतिक लड़ाई कोर्ट के बाहर लड़ी जानी चाहिए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने चार हफ्ते के लिए सुनवाई टाली.

इस दौरान  याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि हमने अटॉर्नी जनरल से सहमति मांगी है. मामला बाद में भी विचाराधीन रह सकता है.

'ऐसे मामलों का राजनीतिकरण न करें..'

CJI बीआर गवई ने कहा कि क्या आपको इतना यकीन है कि आपको सहमति मिल जाएगी? हमें इसे अभी खारिज कर देना चाहिए. ऐसे मामलों का राजनीतिकरण न करें. राजनीतिक लड़ाइयां अदालत के बाहर लड़ी जाती हैं. 4 हफ़्ते बाद सुनवाई करेंगे.

गौरतलब है कि आत्मदीप संस्था की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया है कि इस मामले में करप्शन को देखते हुए शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की ममता सरकार अवहेलना कर रही है. यचिका में कहा गया है कि 7 अप्रैल को दिए अपने भाषण में ममता बनर्जी ने कई ऐसी बाते कही जो सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को कम करने वाली है. यही नहीं, ममता बनर्जी ने SC के आदेश को धता बताते हुए पद से हटाए ग्रुप सी और ग्रुप डी के कर्मियों को मासिक वेतन देने की पॉलिसी भी बनाई है.

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