फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर को सुप्रीम कोर्ट से राहत, सीतापुर केस में अगले आदेश तक बढ़ाई अंतरिम जमानत

मोहम्मद जुबैर को ये राहत केवल सीतापुर मामले में मिली है, बाकी की कार्यवाही निचली अदालतों मे है इसलिए लखीमपुर और दिल्ली के केस पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

विज्ञापन
Read Time: 15 mins

मोहम्मद जुबैर को सीतापुर मामले में SC से राहत

फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. जुबैर को सीतापुर मामले में अंतरिम जमानत अगले आदेश तक जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने सीतापुर मामले में अंतरिम जमानत बढ़ाई है. यूपी पुलिस चार हफ्ते में जवाब दाखिल करेगी और अगली सुनवाई 7 सितंबर को होगी.  ये राहत केवल सीतापुर मामले में है, बाकी की कार्यवाही निचली अदालतों मे है इसलिए लखीमपुर और दिल्ली के केस पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आज ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की यूपी के सीतापुर में दर्ज FIR को रद्द कर जमानत याचिका पर सुनवाई शुरू की थी. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने सुनवाई की. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश के सीतापुर में धार्मिक भावनाओं को आहत करने के एक मामले में पांच दिन की अंतरिम जमानत दे दी थी. जमानत देते हुए जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी कीपीठ ने कहा था कि राहत इस शर्त के अधीन है कि वह दिल्ली की अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर नहीं जाएंगे  (जहां एक और FIR  के संबंध में उनकी आवश्यकता है) और आगे कोई ट्वीट पोस्ट नहीं करेंगे.  शुक्रवार शाम को ज़ुबैर को सीतापुर कोर्ट में पेश किया गया, यहां से कोर्ट ऑर्डर लेकर ज़ुबैर को दिल्ली की तिहाड़ जेल भेजा गया था.

 सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि यह अंतरिम जमानत सीतापुर (उत्तर प्रदेश) की 1 जून 2022 की FIR  के संबंध में है और याचिकाकर्ता के खिलाफ किसी अन्य FIR  के संबंध में नहीं है. याचिकाकर्ता बैंगलोर (उसके आवास) में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य से छेड़छाड़ नहीं करेगा.  पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने FIR  में जांच पर रोक नहीं लगाई है.

अदालत ने FIR रद्द करने से इलाहाबाद हाईकोर्ट के इनकार को चुनौती देते हुए जुबैर द्वारा दाखिल एसएलपी पर विचार कर रही थी.  उत्तर प्रदेश पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 295-ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य, जिसका उद्देश्य किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को उसके धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करना) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करना) के तहत एफआईआर दर्ज की थी, हालांकि जुबैर हिरासत में हैं, क्योंकि वह दिल्ली और लखीमपुर में भी अन्य प्राथमिकी का सामना कर रहा है. पिछली सुनवाई में यूपी सरकार ने उसे आदतन अपराधी बताया था, जो देश को अस्थिर करने के इरादे से नियमित रूप से इस तरह के ट्वीट पोस्ट करने वाले सिंडिकेट का हिस्सा है.

Advertisement

ये VIDEO भी देखें- मोहम्मद जुबैर की याचिका पर आज SC में सुनवाई, इलाहाबाद HC के फैसले को दी है चुनौती

Advertisement

Topics mentioned in this article