जब तक कोई ठोस सबूत न हो... सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की 'वोट चोरी' वाली याचिका

आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बिहार में फाइनल मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद से अब तक किसी तरह की कोई अपील या आपत्ति नहीं आई है. जो भी दावे और आपत्तियां दर्ज हुई थीं, उनका समाधान नियमानुसार किया गया. किसी भी मतदाता का नाम गलत तरीके से नहीं काटा गया.

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नई दिल्ली:

चुनाव आयोग पर लग रहे वोट चोरी के आरोपों पर 'सुप्रीम' सुनवाई हुई. कोर्ट ने कांग्रेस नेता और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के कर्नाटक चुनाव में बेंगलुरु सेंट्रल समेत कई विधानसभाओं में 'वोट चोरी' का दावा किया गया था, जिसकी जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. कोर्ट ने इस याचिका को सिरे से खारिज कर दिया है.

'वोट चोरी के सभी आरोप बेबुनियाद'
अब चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रो ने कहा कि वह शुरू से ही कहते आ रहे है की वोट चोरी के सभी आरोप बेबुनियाद हैं. आयोग के सूत्रों ने कहा कि बिहार में मतदाता सूची की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से की गई है. चुनाव आयोग पूरी तरह निष्पक्ष होकर अपना काम कर रहा है. बिहार में Summary Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ पूरी की गई है.

आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बिहार में फाइनल मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद से अब तक किसी तरह की कोई अपील या आपत्ति नहीं आई है. जो भी दावे और आपत्तियां दर्ज हुई थीं, उनका समाधान नियमानुसार किया गया. किसी भी मतदाता का नाम गलत तरीके से नहीं काटा गया.

दलीलों ​​​​​​ को अपर्याप्त बताते हुए यह याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलीलों को अपर्याप्त बताते हुए यह याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि मतदाता सूची के अद्यतन और संशोधन की प्रक्रिया चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आती है और जब तक कोई ठोस सबूत न हो, उस पर सवाल नहीं उठाया जा सकता.

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह मामला चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए चुनाव आयोग के सामने यह मुद्दा उठाना चाहिए.

याचिकाकर्ता ने कहा था कि उसने चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यह याचिका दाखिल की है. कोर्ट मतदाता सूची के स्वतंत्र ऑडिट का आदेश दे. साथ ही चुनाव आयोग से कहे कि इस ऑडिट के पूरा होने तक वह मतदाता सूचियों में कोई बदलाव न करे. कोर्ट भविष्य में वोटर लिस्ट तैयार करने, उसके रखरखाव और प्रकाशन में पारदर्शिता के लिए जरूरी निर्देश भी दे.

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गौरतलब है कि इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने भी “वोट चोरी” के आरोपों से जुड़ी एक याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर ₹1 लाख का जुर्माना लगाया था. हाईकोर्ट ने तब कहा था कि ऐसे आरोप बिना सबूत के लगाना न सिर्फ़ चुनाव आयोग की साख को ठेस पहुंचाता है, बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाओं पर भी अविश्वास फैलाता है.

बता दें कि अभी सुप्रीम कोर्ट SIR के मामले की सुनवाई कर रहा है. इस मामले में गुरुवार को कोर्ट सुनवाई करेगा. तब तक चुनाव आयोग और याचिकाकर्ता को अपने जवाब दाखिल करना है.  इस बीच चुनाव आयोग बिहार के चुनाव तारीखों का एलान कर चुका है. राज्य में दो चरणों में चुनाव होंगे और परिणाम 14 नवंबर को आयेगा.

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