कोविड से हुई मौत पर मुआवजे के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को पूछे तीखे सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से कोविड मुआवजे के वितरण के लिए अपनी जांच समिति बनाने के आदेश को संशोधित करने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से पूछा है कि अभी तक कितने लोगों को कोविड मुआवजा मिला है.

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महामारी में अपने प्रियजनों को खो चुके गुजरात के कई परिवार अभी भी मुआवजा राशि से वंचित हैं
नई दिल्ली:

COVID-19 महामारी में अपने प्रियजनों को खो चुके गुजरात के कई परिवार अभी भी मुआवजा राशि से वंचित हैं. इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से कोविड मुआवजे के वितरण के लिए अपनी जांच समिति  बनाने के आदेश को संशोधित करने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से पूछा है कि अभी तक कितने लोगों को कोविड मुआवजा मिला है. जस्टिस एमआर शाह ने गुजरात सरकार को चेतावनी दी है कि कम से कम 10,000 लोगों को यह मुआवजा मिलना चाहिए, नहीं तो हम गुजरात भूकंप की तरह कानूनी सेवा प्राधिकरण को ऑम्ब्यूडसमैन नियुक्त करेंगे. कोर्ट ने कहा कि यह मामला हमारे लिए अहम है.

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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से भी सवाल किया है कि अन्य राज्यों में कितने लाभार्थियों को कोविड मुआवजा मिला है. मामले में अगली सुनवाई अब 29 नवंबर को होगी. पिछली सुनवाई में SC ने COVID-19 में अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों की पीड़ा के प्रति “असंवेदनशील” होने के लिए गुजरात सरकार को फटकार लगाई थी. SC ने COVID मौतों की भरपाई के लिए स्क्रूटनी कमेटी का गठन करके "निर्देशों का उल्लंघन" करने के लिए राज्य को फटकार लगाई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गुजरात सरकार ने कोविड पीड़ितों के परिजनों को मुआवजे के लिए दर-दर भटकने को मजबूर किया है. SC ने गुजरात के मुख्य सचिव और स्वास्थ्य सचिव को तलब करने की चेतावनी दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, यह उन लोगों के साथ नहीं किया जा रहा है जो पहले से ही इतना पीड़ित हैं.  सरकार को विरोध करने के बजाय मदद का हाथ बढ़ाना चाहिए. आपके अधिकारी इसे विपरीत तरीके से लेते हैं. लोग अभी भी पीड़ित हैं और यही सच्चाई है. जांच समिति का कोई सवाल ही नहीं था. अब हम देखते हैं कि लंबी कतारें हैं और मुआवजे के फॉर्म इतने जटिल हैं. ये गरीब लोग हैं, हमारे पास अपनी पीड़ा व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं. आप थोड़े संवेदनशील क्यों नहीं हो सकते.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार का स्क्रूटनी कमेटी बनाने का फैसला "सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को खत्म करने का प्रयास" है. हमने पहले ही कहा था कि लोगों की शिकायतों के निवारण के लिए समिति बनाने की जरूरत है ना कि जांच के लिए. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से कोविड मुआवजा देने के लिए उठाए गए कदमों पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा. 

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दरअसल जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने मामले की सुनवाई की. याचिकाकर्ता गौरव बंसल ने कोर्ट को सूचित किया था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले ही घोषित किए जा रहे कोविड मृत्यु प्रमाणपत्र मानदंड के बावजूद, गुजरात सरकार ने प्रमाणपत्रों के संबंध में नया मॉड्यूल बनाया है.  गुजरात सरकार ने कोविड मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक समिति बनाई है जिसके तहत COVID19 को मृत्यु के कारण के रूप में प्रमाणित करने वाले दस्तावेज को प्राप्त करने के लिए समिति के समक्ष एक प्रतिनिधित्व करना होगा.

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याचिकाकर्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के आदेश में पहले ही कहा था कि निम्न श्रेणी की मौतें मुआवजे के लिए पात्र हैं:

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- RTPCR के माध्यम से 
- चिकित्सकीय रूप से निर्धारित मौतें
- कोविड 19 टेस्ट के बाद  30 दिनों के भीतर होने वाली मौतें 
- कोविड 19 रोगियों द्वारा आत्महत्या

4 अक्टूबर के फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा अनुशंसित COVID पीड़ितों के परिजनों के लिए 50,000 रुपये के अनुग्रह मुआवजे को मंजूरी दी थी.

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