सुप्रीम कोर्ट ने शिमला डेवलपमेंट प्लान 2041 किया मंजूर, NGT का आदेश किया रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, प्लान में राज्य की विकास की जरूरतों के साथ पर्यावरण और पारिस्थितिक चिंताओं के बीच संतुलन का ध्यान भी रखा गया है.

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
सुप्रीम कोर्ट ने 22450 हेक्टेयर भूमि पर प्रस्तावित शिमला विकास योजना-2041 को लागू करने की अनुमति दे दी.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने शिमला में निर्माण गतिविधियों को रेगुलेट करने के लिए लाए गए राज्य सरकार के शिमला डेवलपमेंट प्लान 2041 को मंजूरी दे दी. कोर्ट ने इस प्लान के अमल पर रोक लगाने वाले मई 2022 में दिए गए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेश को रद्द कर दिया. कोर्ट ने कहा कि जहां तक  हमने इस प्लान को पहली नजर में देखा है, इस प्लान को विभिन्न एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट को ध्यान में रखकर  तैयार किया गया है. 

कोर्ट ने कहा कि, प्लान में राज्य की विकास की जरूरतों के साथ पर्यावरण और पारिस्थितिक चिंताओं के बीच संतुलन का ध्यान भी  रखा गया है. इसके बावजूद अगर इसके प्रावधान पर किसी नागरिक को ऐतराज है तो उपयुक्त फोरम पर अपनी शिकायत कर सकता है. 

पारिस्थितिक चिंताओं के साथ-साथ विकास को संतुलित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 22450 हेक्टेयर भूमि पर प्रस्तावित शिमला विकास योजना-2041 को लागू करने की अनुमति दे दी. योजना लागू होने पर कुछ प्रतिबंधों के साथ 17 ग्रीन बेल्टों में निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया. योजना का उद्देश्य शहर में निर्माण गतिविधियों को विनियमित करना है. 

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के पिछले आदेशों को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि राज्य सरकार और उसकी अथॉरिटी को एक विशिष्ट तरीके से विकास योजना बनाने का निर्देश देना ट्रिब्यूनल के अधिकार क्षेत्र से बाहर है.  

पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि हमने विकास योजना को देखा है. विभिन्न विशेषज्ञ समितियों की रिपोर्टों और पर्यावरणीय और पारिस्थितिक पहलू समेत विभिन्न पहलुओं के संबंध में किए गए अध्ययनों पर विचार करने के बाद विकास योजना को अंतिम रूप दिया गया है. हम स्पष्ट करते हैं कि हमने इस विकास योजना के सूक्ष्म विवरण पर विचार नहीं किया है. प्रथम दृष्टया इस पर विचार करने पर हमारा मानना है कि पर्यावरण और पारिस्थितिक चिंताओं की देखभाल व समाधान करते हुए विकास की आवश्यकता को संतुलित करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए गए हैं. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि विकास योजना को शहरी नियोजन, पर्यावरण आदि से संबंधित लोग समेत विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की राय के बाद अंतिम रूप दिया गया है. इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि विकास योजना को आपत्तियां आमंत्रित करने सहित कठोर प्रक्रिया के बाद अंतिम रूप दिया गया है. ऐसे में योजना को रोका नहीं जा सकता है. 

Advertisement

कोर्ट ने कहा है कि यदि किसी नागरिक को कोई शिकायत है कि कोई प्रावधान पर्यावरण या पारिस्थितिकी के लिए हानिकारक है तो वह ऐसे प्रावधान को चुनौती देने के लिए स्वतंत्र है. सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सरकार की अपील को स्वीकार करते हुए NGT द्वारा इस मामले में वर्ष 2017 के बाद पारित किए गए आदेशों को रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश राज्य 20 जून 2023 को प्रकाशित विकास योजना के साथ आगे बढ़ सकता है.

Featured Video Of The Day
Delhi Air Pollution: बढ़ते प्रदूषण के बीच दिल्ली में पाबंदियों का चौथा राउंड शुरू | GRAP-4 Imposed