द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) नेता और लोकसभा सांसद कनिमोझी (DMK Leader Kanimozhi) को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)ने तमिलनाडु की तूतीकोरिन सीट से उनके निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दी है. ये याचिका मद्रास हाईकोर्ट में दायर की गई थी. कनिमोझी ने मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनके खिलाफ चुनाव याचिकाओं को रद्द करने से इनकार किया गया था.
26 अप्रैल को 2019 में संपन्न लोकसभा चुनाव में डीएमके नेता कनिमोझी करुणानिधि के तमिलनाडु की थूथुकुड़ी संसदीय सीट (Thoothukudi constituency) से निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर जस्टिस अजय रस्तोगी और बेला त्रिवेदी की पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. कनिमोझी के निर्वाचन को एक मतदाता ए संतन कुमार ने चुनौती दी थी. मतदाता ने आरोप लगाया था कि कनिमोझी ने पारिवारिक संपत्ति का खुलासा करते हुए चुनावी हलफनामे में अपने पति के पैन नंबर का जिक्र नहीं किया था.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 30 जनवरी 2020 को डीएमके सांसद कनिमोझी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर मद्रास हाईकोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. डीएमके नेता ने कहा था कि उनके पति सिंगापुर में रहने वाले एक एनआरआई हैं. उनके पास न तो पैन कार्ड था और न ही वह भारत में कोई इनकम टैक्स चुकाते हैं.
कनिमोझी की याचिका में कहा गया कि उन्होंने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि उनके पति, सिंगापुर के नागरिक हैं और उनके पास पैन नंबर नहीं है. अगर प्रतिवादी का तर्क है कि यह बयान गलत है, तो उन्हें इस आरोप को साबित करना चाहिए कि बयान गलत है. इन प्रकथनों के बिना यह बेतुका और अस्पष्ट कथन कि याचिकाकर्ता ने अपने पति या पत्नी का पैन प्रदान नहीं किया.
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर भरोसा करते हुए प्रतिवादी वकील ने तर्क दिया कि चुनाव उम्मीदवारों के बारे में उचित और सही जानकारी मतदाताओं को 'सूचित' निर्णय लेने में सहायता करती है. पहले की एक सुनवाई में कोर्ट ने मौखिक रूप से पूछा कि क्या कनिमोझी द्वारा चुनाव हलफनामे में अपने पति, जो सिंगापुर की नागरिक हैं, उनके पैन विवरण की मांग वाले कॉलम में "लागू नहीं" के रूप में चिह्नित किए जाने के बाद भी इसे छिपाया गया.
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