नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार के लिए स्टेट मेडिकल फैकल्टी ने 12 संस्थानों से किया करार

उत्तर प्रदेश चिकित्सा शिक्षा विभाग के विशेष सचिव दुर्गा शक्ति नागपाल ने कहा कि यह संस्थानों के लिए अपने मानकों को ऊपर उठाने का एक बड़ा और अच्छा अवसर है.

विज्ञापन
Read Time: 12 mins
लखनऊ:

उत्तर प्रदेश सरकार का मिशन निरामया: निरंतर प्रगति की ओर बढ़ रहा है. इस मिशन के अंतर्गत नर्सिंग एवं पैरामेडिकल संस्थानों की वार्षिक रूप से रेटिंग करने के लिए एक रेटिंग पॉलिसी बनाए जाने के तुरंत बाद अब स्टेट मेडिकल फैकल्टी ने पूरे उत्तर प्रदेश में फैले 12 संस्थानों के साथ मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन पर हस्ताक्षर किए हैं जो राज्य में अन्य संस्थानों को उनके नर्सिंग एवं पैरामेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता को और बढ़ाने के लिए सलाह देंगे व इस दिशा में कार्य करेंगे.

मिशन निरामया: के मेंटर कार्यक्रम के अंतर्गत ऐसे सभी 12 संस्थानों के 2 फैकल्टी सदस्यों को स्टेट मेडिकल फैकल्टी और इसके तकनीकी सदस्यों द्वारा प्रभावी शिक्षण कौशल और नैदानिक कौशल मानकीकरण पर प्रशिक्षित किया जाएगा. 5 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का पहला भाग 28 नवंबर 2022 को शुरू हुआ. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के बाद ये फैकल्टी अपने संस्थानों और अन्य संस्थानों में मानकों को सुधारने पर काम करेंगे. गुणवत्ता में सुधार का वार्षिक मूल्यांकन तीसरे पक्ष के रेटिंग अभ्यास के माध्यम से किया जाएगा.

गौरतलब है कि अभी एक सप्ताह पहले ही स्टेट मेडिकल फैकल्टी ने नर्सिंग एवं पैरामेडिकल संस्थानों को उनके शिक्षण व बुनियादी ढांचे की उपलब्धता और छात्रों के व्यावहारिक कौशल के आधार पर सालाना रेटिंग करने का फैसला किया है, जिसका मूल्यांकन QCI टीम द्वारा किया जाएगा. ये रेटिंग 2023 की पहली तिमाही के अंत में शुरू की जाएगी.

उत्तर प्रदेश चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने बताया कि निचले पायदान के संस्थानों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए उनके लिए मंच बनाना महत्वपूर्ण है. यह तंत्र ये सुनिश्चित करेगा कि बेहतर प्रदर्शन करने वाले संस्थानों द्वारा विकसित जानकारी अन्य संस्थानों के साथ साझा की जाए और इस तरह राज्य भर में चिकित्सा संस्थानों की गुणवत्ता मानकों में सुधार हो.

उन्होंने कहा कि यह 12 सलाहकार संस्थान उत्तर प्रदेश के 7 मंडलों में उपस्थिति है. मार्च 2023 तक हम पूरे राज्य को कवर करने के लिए उत्तर प्रदेश के प्रत्येक मंडल में कम से कम 1 मेंटर यानि परामर्शदाता संस्थान की पहचान करने की योजना बना रहे हैं. मेंटर संस्थान उन प्रत्येक संस्थानों में गुणवत्ता सुधार दल भी बनाएंगे, जिन्हें वे परामर्श देते हैं, जो गुणवत्ता मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए मेंटर संस्थानों के मार्गदर्शन में काम करेंगे. इन संस्थानों और उनके फैकल्टी को स्टेट मेडिकल फैकल्टी द्वारा मेंटर के रूप में प्रमाणित किया जाएगा.

उत्तर प्रदेश चिकित्सा शिक्षा विभाग के विशेष सचिव दुर्गा शक्ति नागपाल ने कहा कि यह संस्थानों के लिए अपने मानकों को ऊपर उठाने का एक बड़ा और अच्छा अवसर है. मैं उम्मीद करती हूं कि सभी संस्थानों को मेंटरशिप कार्यक्रम का सर्वोत्तम उपयोग करना चाहिए और अपने सुधार क्षेत्रों पर काम करना चाहिए. ऐसा अक्सर नहीं होता है कि नर्सिंग और पेरामेडिकल संस्थान एक साथ काम करते हैं. अब मिशन निरामया: ने उस मंच को विकसित किया है और रेटिंग अभ्यास के माध्यम से इसका उपयोग करने के लिए एक अवस्था भी प्रदान की है.

Advertisement

ये हैं चुने गए 12 संस्थान 

  1. बरेलीः रोहिलखंड कॉलेज ऑफ नर्सिंग
  2. इटावाः यूपी यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज, सैफई
  3. गौतम बुद्धनगरः नाइटेंगल इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग
  4. गौतम बुद्धनगरः स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, शारदा यूनिवर्सिटी 
  5. गोंडाः एस.सी.पी.एम. कॉलेज ऑफ नर्सिंग एंड पेरामेडिकल साइंसेज
  6. कानपुर नगरः जी.एस.वी.एम कॉलेज ऑफ नर्सिंग
  7. लखनऊः कॉलेज ऑफ नर्सिंग, इंस्टीट्यूट ऑफ पेरामेडिकल्स (बाबा) 
  8. मेरठः आई.आई.एम.टी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज 
  9. मेरठः एल.एल.आर.एम मेडिकल कॉलेज
  10. मेरठः पन्ना धाई मां सुभारती नर्सिंग कॉलेज 
  11. सहारनपुरः हिलेरी क्लिंटन नर्सिंग स्कूल
  12. गोरखपुरः गुरु श्री गोरखनाथ कॉलेज ऑफ नर्सिंग
Featured Video Of The Day
Bihar Business Connect: 1.5 लाख करोड़ से ज्यादा के निवेश के MOU, Adani Group ने किया ये ऐलान