कौशल विकास घोटाला: SC ने चंद्रबाबू नायडू की FIR रद्द करने की मांग ठुकराई, मामला CJI के पास भेजा

नायडू को 2015 में मुख्यमंत्री रहने के दौरान कौशल विकास निगम में धन के हेरफेर के आरोप में पिछले साल नौ सितंबर को गिरफ्तार किया गया था. ऐसा आरोप है कि इस घोटाले से सरकारी राजकोष को 371 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
नई दिल्ली:

कौशल विकास घोटाला मामले में आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगू देशम पार्टी के प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. दोनों जजों ने एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया है. दोनों जज इस बात पर सहमत हुए कि उनके खिलाफ आईपीसी के अपराध हैं और इसके लिए उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है. दोनों ने मजिस्ट्रेट द्वारा पारित रिमांड आदेश को बरकरार रखा. साथ ही एफआईआर रद्द करने की याचिका खारिज करने के आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को भी बरकरार रखा.

हालांकि दोनों धारा 17ए (अभियोजन के लिए पूर्व मंजूरी) की प्रयोज्यता और व्याख्या पर भिन्न थे, इसलिए न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी ने नई बड़ी पीठ के गठन के लिए CJI को मामला भेजा गया. जस्टिस बोस ने कहा कि मंज़ूरी की आवश्यकता थी, वहीं जस्टिस त्रिवेदी ने कहा कि मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी.
 

धारा 17ए को 26 जुलाई 2018 से एक संशोधन के जरिए लागू किया गया और ये प्रावधान भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत किसी भी पुलिस अधिकारी को कथित तौर पर किसी सरकारी सेवक द्वारा किसी भी अपराध की जांच के लिए सक्षम प्राधिकरण से पूर्व अनुमति देने की आवश्यकता को अनिवार्य बनाता है.

न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस ने कहा कि तेदेपा प्रमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार रोधी अधिनियम के तहत जांच करने के लिए पूर्व मंजूरी की आवश्यकता थी. न्यायमूर्ति बोस ने ऐसी अनुमति लेने के लिए राज्य को छूट देते हुए कहा, ‘‘हालांकि, मैं रिमांड आदेश को रद्द करने से इनकार करता हूं. स्वीकृति नहीं होने से रिमांड आदेश अमान्य नहीं हो जाएगा.''

Latest and Breaking News on NDTV

वहीं, न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी ने कहा कि भ्रष्टाचार रोधी अधिनियम की धारा 17ए पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं होगी और उन्होंने प्राथमिकी रद्द करने से इनकार करने वाले उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा.

अलग-अलग राय के मद्देनजर, उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ तेदेपा प्रमुख की याचिका को उचित निर्देशों के लिए प्रधान न्यायाधीश के समक्ष रखने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने नायडू की अपील खारिज करते हुए कहा, ‘‘रिमांड के आदेश और उच्च न्यायालय के फैसले में कोई अवैधता नहीं है.''

पीठ ने कहा कि अलग-अलग राय के मद्देनजर, उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ तेदेपा प्रमुख की याचिका को उचित निर्देशों के लिए प्रधान न्यायाधीश के समक्ष पेश किया जाए.

नायडू पर कौशल विकास निगम में धन के हेरफेर का आरोप
नायडू को 2015 में मुख्यमंत्री रहने के दौरान कौशल विकास निगम में धन के हेरफेर के आरोप में पिछले साल नौ सितंबर को गिरफ्तार किया गया था. ऐसा आरोप है कि इस घोटाले से सरकारी राजकोष को 371 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. नायडू इन आरोपों को खारिज करते रहे हैं.

Advertisement

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने पिछले साल 20 नवंबर को उन्हें इस मामले में नियमित जमानत दे दी थी. नायडू ने इस कथित घोटाले के संबंध में उनके खिलाफ प्राथमिकी रद्द करने की उनकी याचिका को खारिज करने के उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी.

Featured Video Of The Day
Delhi Firing News: Nangloi और Alipur में फायरिंग की घटनाएं से दिल्ली में दहशत का माहौल, जानिए पूरा मामला
Topics mentioned in this article