सीतारमण ने विपक्षी दलों से बहिष्कार पर पुनर्विचार करने की अपील की, सेंगोल को सभ्यतागत प्रतीक बताया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. सीतारमण ने यहां राजभवन में तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि, तेलंगाना की राज्यपाल तमिलसाई सुंदरराजन और नगालैंड के राज्यपाल ला गणेशन और केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन की उपस्थिति में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया.

विज्ञापन
Read Time: 27 mins

चेन्नई: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्षी दलों से 28 मई को होने वाले संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील करते हुए कहा कि यह ‘‘लोकतंत्र का मंदिर'' है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि तमिलनाडु के 20 आदिनम (महंत) 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किए गए हैं. इस अवसर पर अंग्रेजों से सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दिया गया रस्मी राजदंड ‘सेंगोल' भी स्थापित किया जाएगा.

तमिलनाडु, तेलंगाना और नगालैंड के राज्यपालों के साथ यहां पत्रकारों से बात करते हुए सीतारमण ने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री को ‘सेंगोल' सौंपे जाने की घटना तमिलनाडु के लिए बेहद खास है. आजादी के बाद सत्ता हस्तानांतरण की प्रक्रिया के सिलसिले में नेहरू ने ‘राजाजी' के नाम से लोकप्रिय पहले भारतीय गवर्नर जनरल सी आर राजगोपालाचारी से चर्चा की थी. इसके बाद राजाजी ने इस संबंध में शैव संत तिरुवदुथुरई आदिनम से चर्चा की थी, जिसके बाद उनकी सलाह पर सत्ता हस्तानांतरण के लिए ‘सेंगोल' तय किया गया.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. सीतारमण ने यहां राजभवन में तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि, तेलंगाना की राज्यपाल तमिलसाई सुंदरराजन और नगालैंड के राज्यपाल ला गणेशन और केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन की उपस्थिति में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया.

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक उन विपक्षी दलों में शामिल है, जो उद्घाटन समारोह का बहिष्कार कर रहे हैं. उन्होंने ‘सेंगोल' को राजशाही का प्रतीक करार दिया और जोर देकर कहा कि इसका लोकतंत्र से कोई लेना-देना नहीं है. सीतारमण में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की जगह प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संसद भवन का उद्घाटन का विरोध कर रहे विपक्ष को जवाब देते हुए कांग्रेस पर परोक्ष हमला किया और कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा भवन का शिलान्यास राज्य के तत्कालीन राज्यपाल के बजाए कांग्रेस की पूर्व प्रमुख सोनिया गांधी ने किया था.

उन्होंने कहा कि यह अजीब है कि जिन लोगों ने राष्ट्रपति की आलोचना की थी, वे अब अचानक उनके लिए बोल रहे हैं. कई राजनीतिक दलों द्वारा उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने को लेकर उनकी टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने जवाब दिया, ‘‘संसद लोकतंत्र का मंदिर है और इन दलों को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए और समारोह में शामिल होना चाहिए.''

इस बीच, सुंदरराजन ने कहा कि ऐसा लगता है कि कुछ राजनीतिक दलों की अपनी सुविधा के अनुसार राजनीति करने की आदत हो गई है. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विधानसभा परिसर के उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था. उसका उद्घाटन मुख्यमंत्री (के चंद्रशेखर राव) ने किया था. कुछ दल जानते हैं कि अपनी सुविधा के अनुसार राज्यपाल या मुख्यमंत्री का नाम कब लेना है, राजनीति कैसे करनी है.''

Advertisement

सीतारमण ने कहा कि सेंगोल को स्थापित किया जाना भारतीय संसदीय लोकतंत्र की एक ऐतिहासिक घटना होगी. उन्होंने कहा, ‘‘राज्यसभा संसद परिसर का हिस्सा है और सेंगोल को लोकसभा में रखा जाएगा, जो लोकतंत्र के मंदिर में एक महत्वपूर्ण घटना को दर्शाता है और सेंगोल के माध्यम से सत्ता के प्रतीकात्मक हस्तांतरण से तमिलनाडु का भी संबंध है.''

राजदंड पर भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की छवियों को उकेरने को सभी धर्मों के लोगों द्वारा स्वीकार किए जाने संबंधी सवाल पर सीतारमण ने कहा कि जब अंग्रेजों ने भारत छोड़ा तो देश में ईसाई और मुसलमान भी थे. उन्होंने कहा कि लॉर्ड माउंटबेटन को दिए जाने और बाद में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सौंपे जाने पर किसी ने उन छवियों पर आपत्ति नहीं जताई थी.

Advertisement

सीतारमण ने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया एक मुस्लिम बहुसंख्यक राष्ट्र है, जिसके करेंसी नोटों पर गणेश और लक्ष्मी की तस्वीर है. उन्हें अपने सभ्यतागत प्रतीकों को प्रदर्शित करने में कुछ भी गलत नहीं लगता.'' सीतारमण ने कहा कि उद्घाटन समारोह के लिए तिरुवदुथुरई, पेरूर और मदुरै सहित तमिलनाडु के 20 आदिनम को कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया है.

तमिल में, आदिनम शब्द एक शैव मठ और ऐसे मठ के प्रमुख दोनों को संदर्भित करता है. वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘आदिनम इस कार्यक्रम में शामिल होंगे, वहां ओडुवर (शैव शास्त्रों और भजनों के विद्वान) होंगे जो थेवरम का पाठ करेंगे. वर्ष 1947 में भी जब ओथुवर्गल ने कोलारू पथिगम का पाठ किया था तब राजदंड को नेहरू को सौंप गया था.''

Advertisement

उन्होंने कहा कि उसी राजदंड को लोकसभा में लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पास बहुत श्रद्धा के साथ स्थापित किया जाएगा और यह ‘बिना किसी पक्षपात के न्यायपूर्ण शासन' का प्रतीक होगा. इस बीच, द्रमुक ने महंतों को आमंत्रित करने के सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि क्या अन्य धर्मों के प्रमुखों को भी आमंत्रित किया गया है. द्रमुक प्रवक्ता एवं पूर्व सांसद टी.के.एस. एलंगोवन ने कहा कि सेंगोल राजशाही का प्रतीक है.

उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘सेंगोल एक राजशाही की पहचान है. राजशाही में कोई विशेष न्याय व्यवस्था नहीं थी, राजा मुख्य न्यायाधीश था, राजा रक्षा प्रमुख था, प्रशासन प्रमुख था, राजा पूरे राष्ट्र को नियंत्रित करता था.'' द्रमुक नेता ने कहा कि लोकतंत्र में सेंगोल की कोई भूमिका नहीं है.

Advertisement

ये भी पढ़ें:-

INS Vikrant पर पहली बार तेजस की सफल लैंडिंग, भारत के लिए बड़ी कामयाबी

INS विक्रांत पर लैंड करते हुए LCA तेजस की गति सिर्फ 2.5 सेकंड में कैसे हुई 240 kmph से 0 kmph

INS Vikrant ने विदेश के पहले पीएम-ऑस्‍ट्रेलिया के एंथोनी अल्‍बनीज का किया स्‍वागत

Featured Video Of The Day
ICC Arrest Warrants For Israel Benjamin Netanyahu | नेतन्याहू के लिए खतरा बढ़ा, होंगे गिरफ्तार?
Topics mentioned in this article