कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार, मंत्रियों और विधायकों के साथ रविवार को यहां धरना दिया और आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने सूखे से निपटने के लिए राहत राशि जारी करने में राज्य के साथ ‘‘अन्याय'' किया है. राज्य सरकार ने कर्नाटक के कुल 236 तालुकाओं में से 226 को सूखाग्रस्त घोषित किया है और कहा है कि 48 लाख हेक्टेयर भूमि में फसल का नुकसान हुआ है.
सिद्धरमैया के मुताबिक, सूखे से निपटने के लिए 18,171 करोड़ रुपये की मांग के बदले केंद्र सरकार ने केवल 3,454 करोड़ रुपये जारी करने का आदेश दिया. उन्होंने कहा कि यह आदेश भी राज्य द्वारा उच्चतम न्यायालय का रुख करने के बाद दिया गया है.
उन्होंने ‘विधान सौध' परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने प्रतीकात्मक धरना दिया. इसी परिसर में विधानमंडल और सचिवालय हैं. नेताओं ने हाथों में तख्तियां और पोस्टर भी ले रखे थे जिन पर लिखा था, 'मोदी सरकार कर्नाटक वासियों को धोखा दे रही है', 'मोदी सरकार पर्याप्त अनुदान जारी न करके धोखा दे रही है.'
उन्होंने प्रधानमंत्री की राज्य में लगातार चार जनसभाओं के मद्देनजर 'वापस जाओ, वापस जाओ, मोदी वापस जाओ' के नारे भी लगाए. सिद्धरमैया ने पत्रकारों से कहा, “हमने 100 वर्षों में ऐसा सूखा नहीं देखा है. हमने पिछले साल सितंबर में केंद्र को एक ज्ञापन सौंपा था, हमें रिपोर्ट जमा करने के एक महीने के अंदर राहत राशि मिलनी चाहिए थी, लेकिन उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने तक हमें यह नहीं मिली.''
विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले कांग्रेस महासचिव और कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार पर्याप्त राहत राशि जारी नहीं करके कर्नाटक के लोगों से 'बदला' लेना चाहती है.
उन्होंने ‘एक्स' पर लिखा, “मोदी सरकार सूखा प्रभावित किसानों के लिए मांगे गए 100 रुपये में से 19 रुपये यानी 19 प्रतिशत देती है. सूखा प्रभावित किसानों के लिए 18,172 करोड़ रुपये में से 14,718 करोड़ रुपये देने से इनकार कर दिया गया. कर्नाटक सरकार द्वारा मोदी सरकार के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में मामला दायर करने और न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद केवल 3,454 करोड़ रुपये की मामूली रकम मंजूर की गई.”