महाराष्ट्र (Maharashtra) में एकनाथ शिंदे सरकार ने चार जुलाई को विश्वास मत जीत लिया था, लेकिन विश्वासमत के दौरान कांग्रेस (Congress) के 11 विधायक (MLAs) विधानसभा में नहीं पहुंचे थे. इसके बाद महाराष्ट्र में चर्चा गर्म हो गई कि कांग्रेस के विधायक भी बाजेपी के संपर्क में हैं. इस मुद्दे पर एनडीटीवी ने कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण (Prithviraj Chavan) से बात की. इस पर उन्होंने कहा कि जब भी अध्यक्ष डिविजन मांगते हैं, तो सारे सदन के दरवाजे बंद हो जाते हैं, उसे लॉबी शेयर करना कहते हैं. पांच मिनट तक घंटी बजती है उसके बाद सभी दरवाजे बंद हो जाते है. दरवाजे बंद होने के बाद आने वाले विधायकों को अंदर नहीं आने दिया जाता. कांग्रेस के विधायक उस दिन विधानसभा परिसर में देरी से पहुंचे थे, तब तक सदन के दरवाजे बंद हो चुके थे.
कांग्रेस विधायकों को सदन में पहुंचने पर देरी इसलिए हुई कि बीजेपी के विधायकों को विधानसभा तक लाने के लिए पुलिस ने कई सारे सड़क मार्ग को बंद कर दिया, जिसके कांग्रेस के विधायकों को रास्ता बदलकर विधानसभा आना पड़ा और रास्ते में ट्रैफिक जाम के कारण 11 विधायक विधानसभा नहीं पहुंच पाये. इस तरह से कांग्रेस के विधायक देरी से पहुंचे तो उनको विधानसभा में इंट्री नहीं मिली. हमने विधायकों से बात की तो उन्होंने हमें यही कारण बताया. इसके बाद भी हमारे प्रभारी विधायकों से पूछताछ कर रहे हैं.
कांग्रेस ने एक और बड़ी गलती यह की है कि जब भी सदन में कोई अहम कार्रवाई होती है तो कांग्रेस लेजिस्लेटिव पार्टी अपने विधायक दल की बैठक 1.5 घंटे पहले बुलाती है, लेकिन उस दिन ऐसा नहीं किया. पार्टी ने बैठक क्यों नहीं बुलाई इसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है. इसके कारण भी लोग समय पर विधानसभा में नहीं पहुंच पाए. चव्हाण ने कहा कि इससे पहले जब हमारे काउंसिल का चुनाव हुआ था 20 जून को उसमें हमारे दो प्रत्याशी थे. सोनिया जी ने काउंसिल का टिकट दिया था. उस चुनाव जीत के लिए में 26 वोट की जरूरत थी. उनहें 29 वोट का कोटा दिया गया. हालांकि ये चुनाव गुप्त मतदान से होता है, लेकिन जब चुनाव हुए तो उन्हें केलव 2 वोट मिले वो हार गये. इसका मतलब है कि हमारे लोगों ने भाजपा के प्रत्याशी को गुप्त तरीके से वोट दिया और वो जीत गया. इससे साबित हुआ कि सात विधायकों ने भाजपा को वोट दिया था.
शिंदे गुट ने शिवसेना से जो बगावत की इस पर हमारी हाईकमान ने ध्यान नहीं दिया., लेकिन मैं मानता हूं कि ये चिंता का विषय है. आज ईडी का सहारा लेकर और धन- बल का इस्तेमाल करके नई सरकारें बनती हैं. अब हमारी पार्टी को तोड़ने की भी अटकलें लगाई जा रही हैं. विधान परिषद में 7 विधायकों ने पार्टी के खिलाफ वोट किया है. विश्वास मत में गैर हाजिर रहने का संबंध इससे है या नहीं मुझे नहीं पता, लेकिन हमारे साथियों ने यही स्पष्टीकरण दिया है कि दिल्ली में इसकी पूछताछ होगी.
कांग्रेस के विधायक सदन में गैर हाजिर रहे या वोट नहीं दिया यह जांच के बाद सामने आएगा, लेकिन ऑपरेशन कमल क्या होता है. इसके बारे में आप क्या कहेंगे, जो कर्नाटक और मध्य प्रदेश में देखने को मिला. इसके जवाब में चव्हाण ने कहा कि अगर आप दो तिहाई बहुमत नहीं पाते हैं तो आप दूसरे विधायकों का इस्तीफा दिलाते हैं और चुराने की कोशिश करते हैं. ऑपरेशन कमल का इस्तेमाल कांग्रेस और शिवसेना के बाकी विधायकों के साथ हो सकता है. एनसीपी के विधायकों के साथ हो सकता है. राजनीति किस स्तर तक गिर गई है, यह देश की जनता भी देख रही है.
अघाड़ी टूटा नहीं है, सब साथ हैं
एनसीपी-कांग्रेस-शिवसेना आज भी साथ हैं. कुछ भी हो कांग्रेस बीजेपी का विरोध करती रहेगी. द्वेष भरी राजनीती का विरोध करती रहेगी. एनसीपी भी मूल कांग्रेस की विचारधारा है.कभी भी भाजपा की विचारधारा के साथ नहीं जाएगी. कांग्रेस का विधायक दल में कोई भी यह नहीं सोचेगा कि हम महाविकास अघाड़ी तोड़ दें. तीनों दलों के 107 विधायक महाराष्ट्र में इसका विरोध करेंगे. चव्हाण ने कहा कि शिंदे सरकार अभी भी खतरे से बाहर नहीं है. 11-12 विधायकों को डिसक्वालिफिकेशन पर फिर से सुनवाई होगी. आगे क्या होगा, इसका फैसला 12 तारीख को होगा.
चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र की नई सरकार की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं. सबसे बड़ा खतरा तब आएगा जब आप मंत्रीमंडल बनाओगे. विभाग लेने में मुश्किलें आएंगी क्योंकि यहां भी तीन तरह के लोग हैं. पहले वो जो मूल रूप से बीजेपी विधायक हैं. दूसरे जो 2019 के दौरान बीजेपी गए थे और तीसरा गुट एकनाथ शिंदे जी का है. यहां मंत्री तो 45 ही बनेंगे. एकनाथ शिंदे को शायद 15 मिलें. नए लोगों में कैसे बंटवारा होगा ये अगले हफ्ते पता चलेगा.
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