शीना बोरा हत्याकांड : इंद्राणी मुखर्जी ने कहा- सबूत गायब कर दिए जाएंगे तो न्याय कैसे मिलेगा?

इंद्राणी मुखर्जी ने कहा- शीना बोरा जिंदा है, अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिल पाया है जिससे यह पता लग सके कि उसकी मौत हो गई है

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इंद्राणी मुखर्जी (फाइल फोटो).
मुंबई:

Sheena Bora murder case: सीबीआई ने शुक्रवार को मुंबई की एक विशेष अदालत को बताया है कि 12 साल पहले शीना बोरा की हत्या के बाद रायगढ़ पुलिस द्वारा बरामद की गई उसकी हड्डियां और अन्य अवशेष गायब हैं और उनका पता नहीं लगाया जा सकता है. इस पर इस केस में आरोपी इंद्राणी मुखर्जी (Indrani Mukherjee) ने कहा है कि, ''यह तो ऐसा हो गया है कि रक्षक ही भक्षक बन गया है. मैं यह नहीं मान सकती हूं कि इतने बड़े-बड़े दो बैग, जिसमें अवशेष थे, वे ऐसे ही गायब हो सकते हैं.''

इंद्राणी मुखर्जी ने कहा, ''मुझे फंसाने के लिए यह झूठा केस बनाया गया था और मुझे अरेस्ट भी गलत तरीके से ही किया गया था. पॉलिटिकल चीज भी हो सकती है, मुझसे पर्सनल प्रॉब्लम भी हो सकती है,  इसलिए मेरे साथ ऐसा किया गया है.'' 

उन्होंने कहा कि, ''इस केस को देवेंद्र फडणवीस ने सीबीआई को ट्रांसफर किया था. उनको भी लगने लगा था कि इस मामले में कुछ गड़बड़ है और सीबीआई इसको अच्छे से हैंडल कर पाएगी, मगर सीबीआई ने जल्दबाजी में चार्जशीट फाइल की. मुझे लग रहा है कि क्योंकि उनके पास समय कम था इसलिए जल्दबाजी की गई चार्जशीट फाइल करने में.'' 

इंद्राणी मुखर्जी ने कहा कि, ''सबूत गायब कर दिए जाएंगे तो न्याय कैसे मिलेगा. मैं हमेशा कह रही हूं कि अगर राहुल मुखर्जी के साथ आखिरी बार शीना बोरा को देखा गया था तो राहुल मुखर्जी का कस्टोडियल इंटेरोगेशन क्यों नहीं किया गया. मुझे पहले से फंसाने की साजिश थी और इसी के लिए सही समय का और सही ऑफिसर का इंतजार किया जा रहा था. यह मेरे खिलाफ एक बड़ी साजिश हुई है.''

उन्होंने कहा कि, ''सच्चाई सबके सामने आ रही है कि जो भी मेरे साथ किया गया वह सब गलत किया गया. मेरे साथ गलत हुआ है, आप सबको यह अब पता चल रहा है.'' 

'झूठी रिपोर्ट बनाई गई' 
इंद्राणी मुखर्जी ने कह कि, ''फॉरेंसिक एक्सपर्ट से बात की जाए, उसके साथ इन्वेस्टिगेशन इंटेरोगेशन किया जाए, जिसने झूठ फैलाया और झूठी रिपोर्ट बनाई. 2012 में जो अवशेष मिले थे उसका कोई डीएनए टेस्ट किया ही नहीं गया था.'' उन्होंने कहा कि, ''मिसिंग के पीछे यही है क्या, कि हड्डियां अगर सामने आती हैं तो यह साबित हो जाएगा की वे शीना की नहीं हैं.'' 

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उन्होंने कहा कि, ''जेबा खान पहले ही कोर्ट के सामने कह चुकी हैं कि जो अवशेष है उसका कोई जेंडर भी मालूम नहीं हो पाया है. मैंने कोर्ट में हमेशा कहा है कि हमें लग रहा है कि शीना जिंदा है. सारे लोगों ने कहा है कि हमने शीना को यहां देखा है, वहां देखा है. अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिल पाया है जिससे यह पता लग सके कि शीना की मौत हो गई है.''

शीना बोरा, इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी (फाइल फोटो).

फॉरेंसिक विशेषज्ञ ने किया हड्डियां गायब होने का खुलासा
शीना बोरा की हड्डियां और अन्य अवशेष गायब होने का खुलासा मामले की गवाह, सर जेजे अस्पताल की फॉरेंसिक विशेषज्ञ डॉ जेबा खान से पूछताछ के दौरान हुआ. उन्होंने सबसे पहले पुष्टि की थी कि बरामद हड्डियां और अन्य अवशेष किसी इंसान के हैं.

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पुलिस ने हड्डियां रायगढ़ के गगोडे-खुर्द गांव के पास उस स्थान से बरामद की थीं, जहां शीना बोरा के शव को कथित तौर पर जला दिया गया था और घने जंगल में फेंक दिया गया था.

पुलिस ने आरोप लगाया कि मुंबई मेट्रो में कार्यरत शीना बोरा की हत्या उसकी मां और उसके पूर्व पति ने अपने ड्राइवर के साथ मिलकर 24 अप्रैल, 2012 को की थी, लेकिन मामले का खुलासा अगस्त 2015 में हुआ.

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फॉरेंसिक विशेषज्ञ से पूछताछ जारी
सात मई को अदालत की सुनवाई में सीबीआई की ओर से पेश सरकारी वकील सीजे नांदोडे ने डॉ खान से पहचान के लिए बरामद हड्डियों को दिखाने की मांग की थी, लेकिन काफी खोजबीन के बाद भी वे नहीं मिल पाईं. इसके बाद की सुनवाई में सीबीआई ने स्वीकार किया कि हड्डियों के दो पैकेटों का पता नहीं लगाया जा सका और गवाह (डॉ खान) से पूछताछ जारी रहेगी.

अभियोजन पक्ष के अनुसार, बोरा की मां व पूर्व मीडिया दिग्गज इंद्राणी मुखर्जी ने अपने पूर्व पति संजीव खन्ना और अपने ड्राइवर श्यामवर राय के साथ मिलकर 24 अप्रैल, 2012 की रात को कार में उसका गला घोंट दिया था. बाद में उसी रात, वे उसके शव को सूटकेस में छिपाकर गगोडे-खुर्द ले गए और जला दिया. अगली सुबह घर लौटने से पहले अवशेषों को जंगल में फेंक दिया.

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एक महीने बाद, स्थानीय पुलिस को जली हुई हड्डियां और अवशेष मिले. लेकिन हत्या का मामला अगस्त 2015 में राय, इंद्राणी और बाद में खन्ना की गिरफ्तारी के बाद ही सामने आया. इंद्राणी को मई 2022 में जमानत पर रिहा किया गया था, जबकि श्यामवर राय को मामले में अभियोजन पक्ष का गवाह बनने पर पहले ही रिहा कर दिया गया था.

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