मणिपुर में हिंसा (Manipur Violence) की घटनाएं फिर सामने आ रही हैं. ऐसे में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आज श्रीनगर के शीर्ष पुलिस अधिकारी राकेश बलवाल (IPS Rakesh Balwal) को पूर्वोत्तर राज्य में वापस भेज दिया है. दरअसल, मणिपुर में जुलाई माह में लापता हुए दो छात्रों, जिनमें से एक नाबालिग था कि नृशंस हत्याओं को लेकर ताजा हिंसा भड़की है. बृहस्पतिवार सुबह भी हिंसक प्रदर्शन जारी रहा और इंफाल वेस्ट में एक उग्र भीड़ ने उपायुक्त (DC) कार्यालय में तोड़फोड़ की और दो वाहनों में आग लगा दी.
2012 बैच के आईपीएस अधिकारी बलवाल मणिपुर कैडर के हैं और अभी जम्मू-कश्मीर में तैनात हैं. केंद्र ने बलवाल को समय से पहले पूर्वोत्तर राज्य में भेजने का आदेश दिया है, जो इस साल मई से हिंसा की चपेट में है.
तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने पर बिगड़ी स्थिति
मणिपुर की राजधानी में छात्रों की अगुवाई में यह हिंसा मंगलवार को तब शुरू हुई, जब जुलाई में लापता हुए एक लड़के और लड़की के शवों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं. अधिकारियों ने बताया कि गत रात उरीपोक, यैसकुल, सगोलबंद और टेरा इलाकों में प्रदर्शनकारियों की सुरक्षाबलों से झड़प हुई जिसके कारण सुरक्षा बल को स्थिति पर काबू पाने के लिए आंसू गैस के कई गोले छोड़ने पड़े. उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों को रिहायशी इलाकों में प्रवेश करने से रोकने के लिए टायर जलाकर सड़कों को अवरुद्ध कर दिया. उन्होंने बताया कि भीड़ ने उपायुक्त कार्यालय में तोड़फोड़ की और दो चार पहिया वाहनों को फूंक दिया. केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों ने स्थिति को काबू में किया.
हिंसक प्रदर्शनों से निपटने के बीच कर्फ्यू फिर से लगा दिया गया
इंफाल ईस्ट और इंफाल वेस्ट जिलों में सुरक्षाबलों के हिंसक प्रदर्शनों से निपटने के बीच कर्फ्यू फिर से लगा दिया गया है. इन प्रदर्शनों में मंगलवार से लेकर अब तक 65 प्रदर्शनकारी घायल हो गए हैं. इस बीच, पुलिस ने बताया कि थौबल जिले के खोंगजाम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यालय में आग लगा दी गयी. मणिपुर पुलिस ने एक बयान में कहा कि भीड़ ने एक पुलिस वाहन को निशाना बनाया तथा उसमें आग लगा दी, जबकि एक पुलिसकर्मी से मारपीट की और उसका हथियार छीन लिया. उसने कहा कि ऐसे अपराध में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. छीने गए हथियारों को बरामद करने और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए तलाश अभियान चलाया गया है.
हिंसा की घटनाओं में अब तक 180 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी
मणिपुर के बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सुरक्षाबलों से किशोरों पर ‘मनमाने ढंग से' लाठीचार्ज न करने, आंसू गैस के गोले न छोड़ने और रबड़ की गोलियां न चलाने का अनुरोध किया है. अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च के बाद तीन मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़क गई थी. हिंसा की घटनाओं में अब तक 180 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं.
मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की आबादी लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी आदिवासियों की आबादी करीब 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं.
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