राजनीतिक दलों द्वारा की जानेवाली 'मुफ्त घोषणाओं' पर SC आज सुनाएगा फैसला

सरकार का कहना है कि कानून बनाने का मामला इतना आसान नहीं है. कुछ विपक्षी पार्टियां इस मुफ्त की घोषणाएं करने को संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति के अधिकार का अंग मानती हैं.

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आज सबकी निगाहें कोर्ट के फैसले पर टिकी होंगी.
नई दिल्ली:

राजनीतिक दलों द्वारा की जानेवाली मुफ्त की घोषणाओं के मामले पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा.  पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट सरकार से बार-बार सर्वदलीय बैठक के जरिए एकराय बनाने की बात कह चुका है. निर्वाचन आयोग ने भी कहा कि इस बाबत नियम कायदे और कानून बनाने का काम उसका नहीं बल्कि सरकार का है. वहीं सरकार का कहना है कि कानून बनाने का मामला इतना आसान नहीं है. कुछ विपक्षी पार्टियां इस मुफ्त की घोषणाएं करने को संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति के अधिकार का अंग मानती हैं. आज सबकी निगाहें कोर्ट के फैसले पर टिकी होंगी. चीफ जस्टिस की अगुआई वाली पीठ इस समस्या से निपटने का क्या नायाब और सटीक रास्ता सुझाती है.

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वहीं हाल ही में चुनाव में मुफ्त सुविधाओं का वायदा करने वाली राजनीतिक पार्टियो की मान्यता रदद् करने की मांग वाली अश्विनी उपाध्याय की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी. सीजेआई ने कहा था कि सवाल ये है कि अदालत के पास शक्ति है, आदेश जारी करने की, लेकिन कल को किसी योजना के कल्याणकारी होने पर अदालत में कोई आता है कि यह सही है. सीजेआई ने कहा कि ऐसे में यह बहस खड़ी होगी कि आखिर न्यायपालिका को क्यों हस्तक्षेप करना चाहिए.  CJI ने कहा था कि फ्रीबीज पर रोक के लिए हम चुनाव आयोग को कोई अतिरिक्त अधिकार नहीं देने जा रहे हैं, लेकिन इस मामले में चर्चा की जरूरत है. यह निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. मान लीजिए केंद्र एक ऐसा कानून बनाता है, जो राज्य मुफ्त नहीं दे सकते, क्या तब हम यह भी कह सकते हैं कि इस तरह का कानून न्यायिक जांच के लिए खुला नहीं है.

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