BRS विधायकों की अयोग्यता से जुड़े हाईप्रोफाइल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बेहद सख़्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) को दो सप्ताह के भीतर फैसला सुनाने का अल्टीमेटम दिया है. इसके साथ ही साफ कहा है कि यदि तय समय में फैसला नहीं लिया गया, तो स्पीकर को अवमानना (Contempt of Court) का सामना करना पड़ेगा.
SC की सख्त चेतावनी: 'फैसला कीजिए, वरना अवमानना के लिए तैयार रहिए'
सुनवाई के दौरान CJI बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने तीखी टिप्पणी की. CJI ने स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा, 'इसे अगले हफ्ते तक पूरा करें वरना अवमानना का सामना कीजिए. यह फैसला उन्हें करना है. हमने पहले ही कहा है कि ऐसे मामलों में स्पीकर को कोई संवैधानिक संरक्षण नहीं है. स्पीकर तय करें वह नया साल कहां मनाएंगे मसला निपटाकर या फिर कोर्ट की अवमानना का सामना करते हुए.' CJI ने यह भी कहा कि स्पीकर का यह रवैया कोर्ट की घोर अवमानना की श्रेणी में आता है.
अवमानना याचिकाओं पर भी नोटिस जारी
सुप्रीम कोर्ट ने उन याचिकाओं पर भी नोटिस जारी किया है जिनमें स्पीकर के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग की गई है. कोर्ट ने पूछा है कि आखिर 31 जुलाई के आदेश के बाद भी अभी तक फैसला क्यों नहीं सुनाया गया.
मामला क्या है?
यह पूरा मामला BRS विधायक कौशिक रेड्डी की ओर से दायर की गई याचिका से जुड़ा है. उन्होंने मांग की है कि कांग्रेस में शामिल हुए 10 BRS विधायकों को दल-बदल (डिफेक्शन) के आधार पर अयोग्य घोषित किया जाए.
कोर्ट का पुराना आदेश भी अनदेखा
31 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को निर्देश दिया था कि डिफेक्शन याचिकाओं पर तीन महीने के अंदर निर्णय लिया जाए. लेकिन डेडलाइन बीत जाने के बावजूद अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ. इसी देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज स्पीकर को कड़ा अल्टीमेटम जारी किया है.
अब स्पीकर को दो सप्ताह के भीतर फैसला सुनाना होगा. यदि आदेश का पालन नहीं हुआ, तो अवमानना कार्रवाई की प्रक्रिया आगे बढ़ सकती है. कोर्ट खुद इस मामले की निगरानी कर रहा है और अगले सप्ताह तक अपडेट देने को कहा है. तेलंगाना की राजनीति में यह केस बड़ा मोड़ ला सकता है, क्योंकि 10 विधायकों की अयोग्यता कांग्रेस की संख्या और सत्ता समीकरण दोनों को प्रभावित करेगी.














