''वन रैंक, वन पेंशन कैसे लागू किया जा रहा, कितने लोगों को हुआ लाभ'' : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, 'केंद्र की अतिशयोक्ति OROP नीति पर आकर्षक तस्वीर प्रस्तुत करती है जबकि इतना कुछ सशस्त्र बलों के पेंशनरों को मिला नहीं है.'

विज्ञापन
Read Time: 15 mins
वन रैंक, वन पेंशन मामले में सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई 23 फरवरी को करेगा
नई दिल्‍ली:

सशस्‍त्र बलों में 'वन रैंक वन पेंशन' ( One Rank One Pension या OROP)को लेकर  सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)ने अहम सवाल उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, 'केंद्र की अतिशयोक्ति OROP नीति पर  आकर्षक तस्वीर प्रस्तुत करती है जबकि इतना कुछ सशस्त्र बलों के पेंशनरों को मिला नहीं है.' इसके साथ ही SC ने केंद्र से पूछा है कि  OROP कैसे लागू किया जा रहा है और इससे कितने लोगों को लाभ हुआ है? सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने संसदीय चर्चा और नीति के बीच विसंगति पर याचिकाकर्ताओं की दलीलों का हवाला दिया. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि समस्या यह है कि पॉलिसी पर आपकी अतिशयोक्ति वास्तव में दिए गए लाभ तुलना में बहुत अधिक आकर्षक तस्वीर प्रस्तुत करती है. इस पर केंद्र ने अपना बचाव करते हुए कहा कि नीति पर फैसला केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लिया है.

NIA का जम्मू-कश्मीर में बड़ा एक्शन, आतंकवाद से जुड़े मामलों में कई जगहों पर छापे

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को बताया कि OROP की अभी तक कोई वैधानिक परिभाषा नहीं है. जैसा कि मैंने कहा कि OROP एक वैधानिक शब्द नहीं है, यह कला का एक शब्द है. इस केंद्र की ओर से ASG वेंकटरमन ने कहा, 'हां, यह कला का एक शब्द है जिसे हमने बारीकियों के साथ और बिना किसी मनमानी के परिभाषित किया है.'  याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि एक मंत्री द्वारा सदन के पटल पर दिए गए बयान की नैतिकता क्या है? वर्ष 2014 में सेवानिवृत्त हुए वयोवृद्धों को 1965-2013 के बीच सेवानिवृत्त होने वाले पूर्व सैनिकों की तुलना में अधिक पेंशन प्राप्त होती है. 

अगर बाइक पर है 4 साल से छोटा बच्चा तो इतनी स्पीड से चला पाएंगे गाड़ी, सरकार ने तय किए नए नियम

Advertisement

केंद्र ने पेंशन में अंतर को संशोधित सुनिश्चित करियर प्रगति ( MACP) नामक प्रक्रिया को जिम्मेदार ठहराया है. याचिकाकर्ताओं का दावा है कि OROP को MACP (मॉडिफाइड एश्योर्ड करियर प्रोग्रेसन) से जोड़कर सरकार ने लाभ को काफी कम कर दिया है, जिससे OROP का सिद्धांत पराजित हो गया है. सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई 23 फरवरी को करेगा.दरअसल याचिका में याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि संसद के पटल पर आश्वासन के बावजूद, जो लागू किया जा रहा है, वह व्यक्ति के सेवानिवृत्त होने के आधार पर समान रैंक के लिए अलग-अलग पेंशन है.हर पांच साल में पेंशन बराबर करने से पिछले सेवानिवृत्त लोगों को गंभीर नुकसान होगा.याचिकाकर्ताओं ने OROP के तहत पेंशन के वार्षिक संशोधन और पूर्व सैनिकों के 2014 के वेतन के आधार पर पेंशन की गणना करने की मांग की है जबकि सरकार की 2015 की अधिसूचना के अनुसार, पेंशन की आवधिक समीक्षा पांच साल और पेंशन 2013 के वेतन के आधार पर तय की गई थी. 

Advertisement
वाराणसी : रविदास जयंती पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने श्रद्धालुओं को परोसा प्रसाद

Featured Video Of The Day
Mughalsarai: Duty में तैनात RPF कर्मी ने यात्री की जान बचाई | NDTV India
Topics mentioned in this article