पटना HC के 7 जजों के GPF खाते बंद करने के मामले पर SC ने जारी किया अंतरिम आदेश

2016 में, बिहार सरकार ने एक नीति बनाई थी कि नई पेंशन योजना से पुरानी पेंशन योजना में जाने वाले लोग अपनी NPS योगदान राशि वापस पाने के हकदार होंगे. इसे या तो उनके बैंक खाते में रखा जा सकता है या GPF  खाते में जमा किया जा सकता है.

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नई दिल्ली:

पटना हाईकोर्ट के सात जजों के GPF खाते बंद करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी किया है. अदालत ने आदेश दिया है कि जजों के वेतन फिलहाल दिए जाएं. बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का वेतन जो रोक दिया गया है, उन्हें 13 दिसंबर 2022 के पत्र से पहले की स्थिति के आधार पर जारी किया जाएगा. दरअसल सुप्रीम कोर्ट में उस समय CJI बेंच समेत सभी लोग हैरान हो गए जब पता चला कि पटना हाईकोर्ट के सात जजों के GPF खाते बंद कर दिए गए हैं.

सातों जजों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मदद की गुहार लगाई है.याचिकाकर्ता जजों की ओर से पेश वकील प्रेम प्रकाश ने जल्द सुनवाई की मांग की है. पटना हाईकोर्ट के जस्टिस शैलेंद्र सिंह, जस्टिस अरुण कुमार झा, जस्टिस जितेंद्र कुमार, जस्टिस आलोक कुमार पांडेय, जस्टिस सुनील दत्ता मिश्रा, जस्टिस चंद्र प्रकाश सिंह और जस्टिस चंद्र शेखर झा ने ये याचिका दाखिल की है. इन जजों को अप्रैल 2010 में बिहार की सुपीरियर न्यायिक सेवाओं के तहत सीधी भर्ती के रूप में अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था.  उन्हें पिछले साल  हाईकोर्ट के  जजों  के रूप में नियुक्त किया गया था.  जब वे न्यायिक अधिकारी थे, तब  राष्ट्रीय पेंशन योजना यानी NPS का हिस्सा थे.

2016 में, बिहार सरकार ने एक नीति बनाई थी कि नई पेंशन योजना से पुरानी पेंशन योजना में जाने वाले लोग अपनी NPS योगदान राशि वापस पाने के हकदार होंगे. इसे या तो उनके बैंक खाते में रखा जा सकता है या GPF  खाते में जमा किया जा सकता है.हाईकोर्ट जज नियुक्त होने पर, उन्हें एक-एक GPF खाता दिया गया, जहां उन्होंने NPS योगदान राशि को वापस लेने के बाद जमा किया है.  पिछले साल नवंबर में, इन जजों द्वारा बिहार के अकाउंटेंट जनरल  ने कानून और न्याय मंत्रालय से NPS योगदान को GPF में  ट्रांसफर करने की वैधता के बारे में स्पष्टीकरण मांगा था. मंत्रालय की राय के बाद इनके GPF खाते बंद कर दिए गए हैं.

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