2022 में यूपी चुनावों में आपराधिक इतिहास वाले उम्मीदवारों की जानकारी सार्वजनिक न करने को लेकर कई पार्टियों के नेताओं व मुख्य चुनाव आयोग पर कोर्ट की अवमानना का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो देश नहीं चला सकते हैं. याचिका में अखिलेश यादव, सोनिया गांधी, जेपी नड्डा, मायावती, अरविंद केजरीवाल समेत सभी पार्टियों के नेताओं व मुख्य चुनाव आयुक्त को प्रतिवादी बनाया गया था .
वकील बृजेश सिंह ने अपनी याचिका में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सियासी दलों ने उम्मीदवारों के आपराधिक अतीत की जानकारी सार्वजनिक नहीं की है. लिहाजा उनके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला चलाया जाना चाहिए.
दरअसल 10 अगस्त 2021 को राजनीति और चुनावों में अपराधीकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए बिहार चुनाव को लेकर 9 राजनीतिक दलों को अवमानना का दोषी करार देते हुए 8 दलों पर जुर्माना लगा दिया था. बिहार चुनावों में उम्मीदवारों का आपराधिक इतिहास सार्वजनिक करने के आदेश का पालन ना करने पर सुप्रीम कोर्ट ने ये सख्त कदम उठाया था. अदालत ने बीजेपी और कांग्रेस समेत 9 राजनीतिक दलों को अवमानना का दोषी ठहराया था. NCP और CPM पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया. जबकि कांग्रेस और बीजेपी पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना अदालत ने लगाया गया था. राजद, जनता दल, लोक जनशक्ति पार्टी और CPI पर भी एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने चार हफ्ते के भीतर चुनाव आयोग को जुर्माना जमा कराने को कहा था. वहीं, कोर्ट ने बहुजन समाज पार्टी को चेतावनी देकर छोड़ दिया था. साथ ही चेतावनी दी कि भविष्य में वो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करें अन्यथा इसे गंभीरता से लिया जाएगा.
इसके साथ ही राजनीति में अपराधीकरण को रोकने के लिए दिशा निर्देश जारी किए थे. जिसमें कहा गया था राजनीतिक दलों को अपनी वेबसाइट के होमपेज पर उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी प्रकाशित करनी होगी और मुखपृष्ठ पर एक कैप्शन हो जिसमें लिखा हो 'पराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार'. चुनाव आयोग को एक समर्पित मोबाइल एप्लिकेशन बनाने का निर्देश दिया था, जिसमें उम्मीदवारों द्वारा उनके आपराधिक इतिहास के बारे में प्रकाशित जानकारी शामिल हो.
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