महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव में OBC आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, सशर्त मंजूरी दी

महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने निकाय चुनावों पर ओबीसी आरक्षण को लेकर चुनावी प्रक्रिया का सशर्त रास्ता साफ कर दिया. 

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  • SC ने महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में OBC आरक्षण को लेकर 50% से अधिक आरक्षण पर रोक लगाई है.
  • महाराष्ट्र में कई जगहों पर 2 दिसंबर को निकाय चुनाव होने हैं.
  • SC ने स्पष्ट किया जिन निकायों के चुनाव घोषित नहीं हुए हैं, वहां आरक्षण की सीमा 50% से ज्यादा न हो.
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महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने निकाय चुनावों पर ओबीसी आरक्षण को लेकर चुनावी प्रक्रिया का सशर्त रास्ता साफ कर दिया. 

अदालत ने उन सभी नए निकायों में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण अधिसूचित करने पर रोक लगाई है, जिनके चुनाव अभी घोषित नहीं हुए हैं. वहीं, जिन नगर परिषदों और नगर पंचायतों में पहले से 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण अधिसूचित हो चुका है, वहां चुनाव तो तय कार्यक्रम के अनुसार होंगे, लेकिन उनके नतीजे रिट याचिकाओं के अंतिम फैसले पर निर्भर करेंगे. 

बता दें कि आज मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ महाराष्ट्र में ओबीसी आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. पीठ ने मामले को तीन-न्यायाधीशों की बड़ी बेंच को भेजते हुए अगली सुनवाई 21 जनवरी तय की है.

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2 दिसंबर को होने हैं निकाय चुनाव

सुनवाई के दौरान राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील बलबीर सिंह ने कोर्ट को बताया कि 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों में चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और 2 दिसंबर को मतदान होना है. इनमें से 40 नगर परिषद और 17 नगर पंचायत ऐसे हैं जहां आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक है. वहीं दूसरी ओर, 29 महानगरपालिका, 32 जिला परिषद और 346 पंचायत समितियों के चुनाव अभी अधिसूचित नहीं हुए हैं. 

'आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं'

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया कि जिन निकायों के चुनाव अभी नहीं घोषित हुए हैं, उनमें किसी भी स्थिति में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती. कोर्ट को यह भी बताया गया कि केवल दो महानगरपालिकाएं ऐसी हैं जहां आरक्षण 50 प्रतिशत से ऊपर जाने की संभावना है. इस पर अदालत ने कहा कि इनके चुनाव भी अधिसूचित किए जा सकते हैं, लेकिन इनके परिणाम भी रिट याचिकाओं के नतीजों के अधीन रहेंगे.

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अदालत ने अपने आदेश में जोर देकर कहा कि पहले से अधिसूचित नगर परिषदों और नगर पंचायतों के चुनाव तय कार्यक्रम के मुताबिक कराए जा सकते हैं, लेकिन जिन संस्थाओं में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक है, उनके नतीजों पर अंतिम फैसला बाद की सुनवाई तय करेगी. 

'समाज को जाति की रेखाओं में बांटना नहीं चाहिए'

सुनवाई के दौरान सीजेआई सूर्यकांत ने टिप्पणी की कि हम जो भी करें, समाज को जाति की रेखाओं में बांटना नहीं चाहिए. गौरतलब है कि महाराष्ट्र में ओबीसी आरक्षण के चलते स्थानीय निकाय चुनाव दिसंबर 2021 से अटके हुए थे, जब सुप्रीम कोर्ट ने ‘ट्रिपल टेस्ट' पूरा किए बिना आरक्षण पर रोक लगा दी थी. इसके बाद राज्य सरकार ने जे.के. बंठिया आयोग का गठन किया, जिसने जुलाई 2022 में रिपोर्ट सौंपी. मई 2025 में अदालत ने निर्देश दिया कि चुनाव चार महीने में कराए जाएं और आरक्षण बंठिया आयोग से पहले की स्थिति के अनुसार लागू हो, लेकिन अदालत ने स्पष्ट किया कि इसे 50% से अधिक आरक्षण की अनुमति मान लेना गलत व्याख्या है. अब कोर्ट ने दोहराया है कि शेष निकायों में चुनाव अधिसूचित करते समय 50 प्रतिशत की सीमा हर हाल में लागू रहेगी.

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