जेल में बंद दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन ने दिल्ली की एक अदालत में अर्जी दायर कर तिहाड़ के अधिकारियों को उनकी धार्मिक आस्था के अनुसार खाद्य सामग्री मुहैया कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया है. विशेष न्यायाधीश विकास ढल के समक्ष मंगलवार को इस अर्जी पर सुनवाई की संभावना है. अर्जी में जेल अधिकारियों को तुरंत मंत्री की चिकित्सा जांच करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. जैन के वकील मोहम्मद इरशाद ने कहा कि जैन को जेल के अंदर बुनियादी भोजन और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि कसाब को भी फेयर ट्रायल मिल रही थी. मैं उससे बुरा तो नहीं ही हूं.
कोर्ट में दाखिल की अर्जी में कहा गया है कि जेल में जैन धर्म के अनुसार खाना नहीं मिल रहा है, 5 महीने में 28 किलो वजन कम हुआ है. अर्जी में आरोप लगाया गया है कि 31 मई को गिरफ्तारी के दिन से वह किसी जैन मंदिर नहीं जा पाए हैं और ‘‘जैन धर्म में गहरी आस्था होने के नाते, वह एक धार्मिक उपवास करते हैं और पका हुआ भोजन, दाल, अनाज और दूग्ध उत्पाद नहीं लेते.'' अर्जी में दावा किया गया कि वह ‘‘जैन धर्म का कड़ाई से पालन करते हैं.''
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अर्जी में दावा किया गया, ‘‘पिछले करीब छह महीने से वह सिर्फ फल, सब्जियां, बीज और सूखे मेवे या खजूर खाकर गुजारा कर रहे हैं. यह वह सभी कैदियों के लिए उपलब्ध राशन के अपने कोटे से खरीदारी कर रहे. इसी बीच जेल में वह चोटिल हो गए, जिससे रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई है, जिसका इलाज लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल ने किया था. उनके फेफड़ों में भी दिक्कतें हैं, जो कि कोविड के बाद का लक्षण है.''
अर्जी में कहा गया है कि पिछले 12 दिनों से जेल प्रशासन ने जैन को उनकी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बुनियादी खाद्य सामग्री उपलब्ध कराना बंद कर दिया है. अर्जी में आगे कहा गया है कि धार्मिक उपवास के दौरान खाद्य पदार्थों को रोकना ‘‘अवैध'', ‘‘मनमाना'' और ‘‘उत्पीड़न'' है. अर्जी में कहा गया है कि जैन 21 अक्टूबर को एमआरआई स्कैन सहित एक मेडिकल चेक-अप के लिए जाने वाले थे, लेकिन जेल अधिकारियों द्वारा किसी बहाने या अन्य कारणों का हवाला देते हुए ऐसा करने की अनुमति नहीं दी गई.
जैन को भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत 2017 में उनके खिलाफ दर्ज केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी के आधार पर धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया गया था. अदालत ने 17 नवंबर को जैन और दो अन्य को मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया था.