अखिलेश यादव: बाजी पलटने वाले 'टीपू' की कहानी

घर पर लोग अखिलेश यादव को टीपू के नाम से पुकारते हैं. अखिलेश 38 साल की उम्र में उत्तर प्रदेश जैसे राज्य का मुख्यमंत्री बन गए. कुछ जानकार बताते हैं कि अखिलेश शाम पांच बजने के बाद ऑफिस से निकलकर मुख्यमंत्री आवास चले जाया करते थे और बाकी का समय परिवार के साथ बिताते थे.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
अखिलेश यादव 15 मार्च 2012 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर बैठे थे.
नई दिल्ली:

सपा प्रमुख अखिलेश यादव को उनके कुछ करीबी दोस्त 'माइक्रोसाफ्ट' के नाम से पुकारते हैं. यानी की छोटा मुलायम. मंगलवार को जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तो अखिलेश यादव अपने इस नाम को चरितार्थ करते हुए नजर आए. यह पहला ऐसा चुनाव था, जिसमें अखिलेश यादव के साथ उनके पिता मुलायम सिंह यादव नहीं थे. इस चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 37 सीटें जीतकर इतिहास रचा है. सपा ने इतनी बड़ी जीत अबतक दर्ज नहीं की थी. 

अखिलेश यादव का पहला चुनाव

मुलायम सिंह यादव के इस्तीफे के बाद 2000 में कन्नौज लोकसभा सीट पर  उपचुनाव कराया गया था. कन्नौज में आयोजित एक जनसभा में मुलायम पहुंचे. उनके साथ अखिलेश यादव भी थे. सभा को संबोधित करते हुए मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को कन्नौज की जनता के सामने खड़ाकर कहा था कि इसे नेता बना देना. यह अखिलेश का पहला चुनाव था. वो जीते भी. इसके बाद उन्होंने लगातार तीन चुनाव कन्नौज से जीते. साल 2019 का लोकसभा चुनाव उन्होंने आजमगढ़ से जीता.  

ये भी पढ़ें: अहंकार की राजनीति के खिलाफ है ये जनादेश... सचिन पायलट ने बताया चुनाव में कैसे मजबूत हुए कांग्रेस के हाथ?

Advertisement

कन्नौज में मिली जीत के बाद अखिलेश यादव राजनीति में जमते चले गए. फिर आया 2012 के विधानसभा चुनाव का समय. इसके लिए अखिलेश यादव ने जमकर पसीना बहाया. उन्हें पूरे प्रदेश को साइकिल से ही नाप दिया.चुनाव प्रचार में जमकर पसीना बहाया. जब चुनाव परिणाम आए तो सपा ने अकेले के दम पर बहुमत हासिल कर लिया. इससे बहुत से लोगों को लगा कि मुलायम सिंह यादव फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन होंगे. लेकिन राजनीति के अखाड़े के पुराने पहलवान मुलायम सिंह यादव ने सबको चौंकाते हुए अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया. उनके इस फैसले ने कई लोगों को हैरान परेशान कर दिया. लेकिन कई लोगों ने इसे मुलायम सिंह यादव का परिपक्व फैसला बताया.पार्टी पर पकड़ मजबूत करने और प्रशासन के कामकाज को समझने के लिए यह जरूरी थी. 

Advertisement

अखिलेश यादव कब बने यूपी के मुख्यमंत्री?

घर पर लोग अखिलेश यादव को टीपू के नाम से पुकारते हैं. अखिलेश 38 साल की उम्र में उत्तर प्रदेश जैसे राज्य का मुख्यमंत्री बन गए. कुछ जानकार बताते हैं कि अखिलेश शाम पांच बजने के बाद ऑफिस से निकलकर मुख्यमंत्री आवास चले जाया करते थे और बाकी का समय परिवार के साथ बिताते थे.इसके बाद मुलायम के करीबी और अखिलेश के मंत्रिमंडल सहयोगियों ने मनमानी शुरू कर दी. बाद में दिनों में तो यह कहा जाने लगा कि उत्तर प्रदेश में ढाई लोग मिलकर सरकार चला रहे हैं.यह कहने वालों का इशारा अखिलेश यादव,उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव और मुलायम सिंह यादव के करीबी आजम खान की ओर था.लेकिन बहुत जल्द ही अखिलेश यादव इस कहावत से बाहर आ गए. उन्होंने सरकार और पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली.कार्यकाल के अंतिम दिनों में उन्होंने पार्टी पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया.हालत यह हो गई कि अखिलेश के खिलाफ बगावत करने वाले उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव ने भी 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उनका नेतृत्व स्वीकार कर लिया. 

Advertisement

मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते अखिलेश यादव.

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा ने उत्तर प्रदेश की 80 सीटों पर चुनाव लड़ा था. लेकिन वह केवल पांच सीट ही जीत पाई थी. प्रदेश की 21 सीटों पर उसकी जमानत तक जब्त हो गई थी.यह उस राज्य में हुआ, जहां दो साल पहले तक उसकी सरकार थी.सरकार ने जमीन पर काम भी किया था.साल 2017 के चुनाव से पहले अखिलेश ने कांग्रेस से समझौता किया.चुनाव में यूपी के दो लड़कों (अखिलेश-राहुल) की जोड़ी काफी मशहूर हुई.लेकिन जब चुनाव परिणाम आए तो यह जोड़ी कमाल नहीं कर पाई.दोनों दल केवल 54 सीटें ही जीत पाए.

Advertisement

विधानसभा चुनाव में मिली निराशा से कैसे उबरे

विधानसभा चुनाव में इस निराशाजनक प्रदर्शन के बाद अखिलेश ने 2019 के लोकसभा चुनाव में मायावती की बसपा से हाथ मिलाया. इसी चुनाव में वह मौका भी आया, जब करीब दो दशक बाद मुलायम सिंह यादव और मायावती ने मंच साझा किया.मायावती ने मुलायम के लिए वोट मांगा.इस गठबंधन का परिणाम एक बार फिर अखिलेश के लिए निराशा लेकर आया.वह फिर पांच सीट ही जीत पाए.मुलायम सिंह यादव कांग्रेस और बसपा के साथ किए गए गठबंधनों से खुश नहीं थे. उनकी बात सच भी शामिल हुई थी.

साल 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने तीन अंकों में सीटें जीतीं. इससे पार्टी में उत्साह का संचार हुआ. अक्तूबर 2022 में नेता जी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया. इस घड़ी में अखिलेश यादव ने पार्टी और परिवार को बहुत अच्छे से संभाला. दुख की इस घड़ी से निकलने के बाद अखिलेश यादव 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए. उन्होंने पीडीए का समीकरण तैयार किया.पार्टी को नए सिरे से खड़ा किया.बहुत से फेरबदल किए. उन्होंने एक बार फिर समझौता किया.वो चुनाव से पहले बने इंडिया गठबंधन में शामिल हुए. उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस से समझौता किया.इस गठबंधन ने कमाल किया. इसकी बदौतल सपा अपना अब तक सबसे ऐतिहासिक प्रदर्शन करने में कामयाब हुई.इसी के साथ अखिलेश में अब उत्तर प्रदेश में 2026-27 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी करने लगे हैं.   

अखिलेश यादव की पढ़ाई-लिखाई कहां से हुई है?

इस लोकसभा चुनाव में अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव भी सांसद चुनी गई हैं.अखिलेश और डिंपल ने प्रेम विवाह किया है.इनकी दो बेटियां और एक बेटा है. अखिलेश जिस कन्नौज सीट से सांसद चुने गए हैं. डिंपल भी उसी सीट से सांसद चुनी गई थीं.वह भी निर्विरोध. 

अखिलेश यादव की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई इटावा के सेंट मैरी स्कूल से हुई है. उन्होंने राजस्थान के धौलपुर स्थित धौलपुर मिलिट्री स्कूल में पढाई की. वहां से वे आगे की पढ़ाई के लिए मैसूर के श्री जयचामाराजेंद्र कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग चले गए. वहां से उन्होंने सिविल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री ली.उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के सिडनी विश्वविद्यालय से एनवायरमेंट इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री ली है. 

ये भी पढ़ें: तीन बेटे, जिन्होंने पिता के साये से निकलकर बनाई अपनी पहचान, अब बने गेमचेंजर

Featured Video Of The Day
News Media को मिलेगा सही मुआवजा! Ashwini Vaishnaw ने कहा- खुद की जेब भरने में लगीं टेक कंपनियां
Topics mentioned in this article