कुतुबमीनार पर मालिकाना हक का दावा करने वाली याचिका पर साकेत कोर्ट 17 सितंबर को देगा फैसला

साकेत कोर्ट 17 सितंबर को तय करेगा किमहेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह की याचिका पर सुनवाई करे या नहीं.

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प्रतीकात्‍मक फोटो
नई दिल्‍ली:

कुतुबमीनार पर मालिकाना हक़ का दावा करने वाले कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह की याचिका पर साकेत कोर्ट 17 सितंबर शाम 4 बजे फैसला सुनाएगा.साकेत कोर्ट 17 सितंबर को तय करेगा किमहेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह की याचिका पर सुनवाई करे या नहीं. महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह ने इस मामले में खुद को पक्षकार बनाने की मांग की है. सिंह ने दावा किया है कि गंगा से यमुना तक, मेरठ से गुरुग्राम तक सब उनकी संपत्ति है.मंगलवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने महेंद्र ध्वज प्रताप सिंह के वकील ML शर्मा से याचिका की मेंटेबिलिटी पर दलील देने को कहा. शर्मा ने कहा कि सरकार ने 1947 में बिना हमारी इजाज़त के पूरी प्रोपर्टी अपने कब्जे में ले ली. कोर्ट ने पूछा कि सवाल यहां पर सिर्फ मालिकाना हक का नहीं है. कुछ लोग वहां पर पूजा के अधिकार की मांग कर रहे हैं. आपके पास न अभी कब्ज़ा है ना ही आप कभी कोर्ट आए.पूजा के अधिकार का मामला आपके बिना भी तय किया जा सकता है 

एमएल शर्मा ने दलील दी, "इलाहाबाद हाईकोर्ट में 1960 में याचिका दाखिल की थी वो अभी लंबित है. पीएम, राष्ट्रपति को भी इस मामले में पत्र लिखा है. अगर अलग राज्यों में मेरी संपत्ति सरकार के कब्जे में है. मैं सभी राज्यों में और वहां की अदालतों में नहीं जा सकता. इसलिए राष्ट्रपति को पत्र लिखा था."  शर्मा ने कहा कि हम इस मामले में पक्षकार बनना चाहते है, और कुछ नहीं चाहते. कोर्ट ने पूछा कि  हम आपको पार्टी बनाये बिना पूजा के अधिकार की मांग वाली याचिका पर फैसला सुना सकते हैं. इस पर शर्मा ने कहा की पुरातत्व सर्वेक्षण यानी ASI ने अपने जवाब में यह नहीं बताया है कि कैसे उन्होने इस संपत्ति को अपने कब्जे में लिया. उन्होंने अपने जवाब में बाकी सारी बातें कही हैहम उस संपत्ति पर अधिकार की रक्षा करना चाहते हैं. कोर्ट ने पूछा कि आप राष्ट्रपति के पास जाने के बजाए सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं गए?क्या अपने सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिकाओं में कभी पक्षकार बनने के लिए कोशिश की या अर्जी लगाई? 

शर्मा ने फिर पुराना जवाब दोहराया कहा कि हम पूजा का अधिकार नहीं मांग रहे है. हम तो बस पार्टी बनना चाहते हैं. पूजा के अधिकार की मांग वाली याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि 1947 में शायद यह 3 साल के रहे होंगे लेकिन 18 साल का होने के बाद भी कभी कोर्ट में कुतुबमीनार पर अपने अधिकार की मांग नहीं की. यहां पर इस तरह से याचिका दाखिल नहीं कर सकते हैं. वकील अमिता सचदेवा ने लाल किला पर दावा करने वाली महिला की याचिका के फैसले का ज़िक्र किया जिसमें महिला ने बहादुरशाह जफर के खानदान से होने का दावा किया था. हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी. कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह मालिकाना हक़ भी नहीं मांग रहे है. इसलिए इनकी याचिका को भारी जुर्माना के साथ खारिज कर दिया जाए. ASI ने दलील दी की महेंद्र प्रसाद के दावे ने लिमिटेशन को भी क्रॉस कर लिया है. इसलिए इनकी याचिका खारिज की जानी चाहिए 

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ASI के वकील ने कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सुलतान बेगम ने लाल किले पर मालिकाना हक का दावा किया था उस याचिका का हमने दिल्ली हाई कोर्ट में विरोध किया था.तब भी कोर्ट ने माना था कि याचिका में की गई मांग का कोई आधार नहीं बनता है लिहाजा याचिका को खारिज कर दिया था. इसी तरह कुतुबमीनार पर मालिकाना हक़ का दावा करने वाले कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह की याचिका खारिज करने की गुहार लगाई. कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह   ने दावे को साबित करने की कोई दलील कोर्ट में पेश नहीं की है. कुतुबमीनार में पूजा के अधिकार की मांग वाली याचिका पर कोर्ट फिर से सुनवाई करेगा.

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