Russia-Ukraine war: युद्ध प्रभावित यूक्रेन के सुमी शहर में फंसे भारतीय स्टूडेंट्स को आखिरकार निकाल लिया गया है. बुधवार को जब ये स्टूडेंट्स, स्पेशल ट्रेन में बैठे तो इनके चेहरे पर कई दिनों के बाद मुस्कुराहट खिली. दूतावास की ओर से ट्वीट की गई फोटोज में इन बच्चों के चेहरे पर राहत के भाव साफ देखे जा सकते हैं. भारत में आशंकाओं से घिरे इन बच्चों के परिजन भी इस बात से खुश हैं कि वे जल्द ही अपने बच्चों से मिल सकेंगे. करीब 600 भारतीय और 17 अन्य देशों के स्टूडेंट्स के आखिरी ग्रुप ने यूक्रेन के पोल्तवा से ट्रेन पकड़ी और ये संभवत: गुरुवार को पोलैंड से उड़ान भरेंगे. स्टूडेंट कोऑर्डिनेटर अनशद अली ने बताया कि ट्रेन स्टूडेंट्स को पश्चिमी यूक्रेन के लीव शहर पहुंचाएंगी जहां से वे बस के जरिये पोलैंड जाएंगे. पोल्तवा से लीव की दूरी करीब 888 किमी है.
सरकार के अनुसार, सुमी से निकाले गए ग्रुप में 580 स्टूडेंट, 20 वर्क परमिट पर कार्यरत भारतीय और परिवार शामिल हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने NDTV को बताया कि बांग्लादेश के 13, नेपाल और पाकिस्तान के एक-एक और ट्यूनीशिया के दो लोगों को भी भारतीय स्टूडेंट्स के साथ निकाला गया है. इस अधिकारी के अनुसार, लगातार चल रही लड़ाई के बीच यह पूरा ऑपरेशन, काफी मुश्किल से भरा था. मंगलवार को इन स्टूडेंट्स को सुमी से बस से निकालकर मध्य यूक्रेन के पोल्तवा पहुंचाया गया. स्टूडेंट्स को निकालने के लिए भारत ने जेनेवा और यूक्रेन में रेडक्रॉस से भी बात की थी.युद्ध प्रभावित क्षेत्र में बस 'हायर' करना किसी चुनौती से कम नहीं था क्योंकि यूक्रेनी ड्राइवर रूस की ओर जाने के लिए तैयार नहीं थे.
भारतीय स्टूडेंट्स के साथ सुरक्षित निकाली गईं पाकिस्तान की असमा शफीक ने मदद के लिए भारतीय अधिकारियों को धन्यवाद दिया है. नेपाल के रोशन झा ने भी युद्ध क्षेत्र के जीवित लौटकर आने के लिए के लिए भारत का आभार माना है. बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने पीएम मोदी को फोन करके बांग्लादेशी नागरिकों की मदद के लिए धन्यवाद दिया है.
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