पिछले सात सालों में मोदी सरकार ने माफ किये 11 लाख करोड़ के लोन, RTI से खुलासा

केंद्र की एनडीए सरकार ने पिछले 7 सालों में करीब 11 लाख करोड़ रुपये के लोन माफ किए हैं, जो यूपीए सरकार के तुलना में 5 गुना ज़्यादा है. इसका खुलासा आरटीआई में हुआ है और इससे कहीं ना कहीं बैंकों के कमज़ोर हो रहे हालात के बारे में समझा जा सकता है.

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पिछली सरकार की तुलना में इन कर्ज़ों के राइट ऑफ में 5 गुना बढ़ोतरी हुई है

मुंबई:

केंद्र की एनडीए सरकार ने पिछले 7 सालों में करीब 11 लाख करोड़ रुपये के लोन माफ किए हैं, जो यूपीए सरकार के तुलना में 5 गुना ज़्यादा है. इसका खुलासा आरटीआई में हुआ है और इससे कहीं ना कहीं बैंकों के कमज़ोर हो रहे हालात के बारे में समझा जा सकता है. केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2021 तक बैंकों के 11 लाख 19,482 करोड़ रुपये राइट ऑफ किये हैं यानी माफ किए हैं. साथ ही आरटीआई में यह भी पता चला है कि साल 2004 से 2014 तक केंद्र की यूपीए सरकार ने 2.22 लाख करोड़ रुपये के लोन माफ किए थे, यानी मोदी सरकार में बैंक लोन 5 गुना ज्यादा राइट ऑफ हुए हैं. 

आरटीआई एक्टिविस्ट प्रफुल शारदा कहते हैं, ''अगर 2015 से लेकर 30 जून 2021 के आंकड़े को RBI ने दिए हैं, उसे देखें तो 11 लाख 19 हज़ार करोड़ का लोन राइट ऑफ हुआ है, जबकि रिकवरी केवल 1 लाख करोड़ की है. यानी 10 लाख करोड़ का अभी भी शॉर्टफॉल है. इसमें सोचने वाली बात है कि RBI की गाइडलाइन, पालिसी कहां है. सबसे ज़्यादा इन्वॉल्वमेंट इसमें पब्लिक सेक्टर बैंकों का रहा है, जहां से लगभग साढ़े आठ लाख करोड़ का लोन राइट ऑफ हुआ है.

आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार केवल कोरोना के 15 महीनों में 2,45,456 करोड़ रुपये के लोन को माफ किया गया. सरकारी बैंकों ने 1,56,681 करोड़ रुपये के लोन राइट ऑफ किए जबकि निजी बैंकों ने 80,883 करोड़ के और फॉरेन बैंकों ने 3826 करोड़ लोन माफ किए. NBFC ने भी 1216 करोड़ के लोन माफ किए हैं जबकि शेड्यूल कॉमर्स बैंक ने 2859 करोड़ रुपये के लोन राइट ऑफ किए.

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पिछली सरकार की तुलना में इन कर्ज़ों के राइट ऑफ में 5 गुना बढ़ोतरी हुई है. 

आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ पंकज जायसवाल कहते हैं, ''लोन ज़्यादातर बिज़नेस कैटेगरी वालों के NPA हुए हैं. यह 100-200-500 करोड़ के लोन हैं. जो रिटेल लोन हैं, जैसे वेहिकल या होम लोन हैं, उसके आपको कम ही ऐसे मामले मिलेंगे क्योंकि यह सिक्योर्ड होते हैं. लेकिन बड़े लोन कानून तिकड़म अपनाते हैं और प्रॉसेस काफी लंबा चला जाता है.''

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आरटीआई से मिली जानकारी में लगभग सभी बड़े बैंक शामिल हैं जिन्होंने लोन नहीं चुकता किए जाने पर उसे राइट ऑफ किया है और कहीं ना कहीं बैंकों के आर्थिक हालात को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं.

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