- संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि विश्व में चल रहे संघर्ष की वजह विविधताओं को सहज न कर पाना है
- भागवत ने बताया कि दुनिया को आर्थिक नहीं बल्कि भारत के अध्यात्म की सबसे अधिक आवश्यकता है
- उन्होंने कहा कि भारत अपनी आध्यात्मिकता के कारण विश्वगुरु माना जाता है न कि केवल आर्थिक ताकत के कारण
पूरे विश्व में इन दिनों संघर्ष चल रहा है ,कई देशों एक दूसरे के खिलाफ युद्ध में कूदे हुए हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत सहित कई देशों को टैरिफ के नाम पर धमकी दे रहे हैं. इस बीच नागपुर में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने दुनिया भर में चल रहे संघर्ष की वजह बताई है. नागपुर के एक कार्यक्रम में पहुंचे भागवत ने कहा कि हमारे धर्म की सारे विश्व को जरूरत है.
'हमारे धर्म की सारे विश्व को जरूरत'
दरअसल मोहन भागवत नागपुर में धर्म जागरण न्यास के कार्यालय लोकार्पण कार्यक्रम में पहुंचे थे. यहां उन्होंने वैश्विक स्तर पर हो रही उथल-पुथल के बारे में बात की. भागवत ने कहा कि, 'हमारे धर्म की सारे विश्व को जरूरत है. एक दूसरे के साथ विविधताओं को ठीक से सहजकर, कैसे रहना है, ये इस दुनिया को मालूम नही है. इसलिए दुनिया में इतने संघर्ष चल रहे हैं.
'दुनिया हमें इकोनॉमी नहीं अध्यात्म के कारण विश्वगुरु मानती है'
इससे पहले RSS प्रमुख मोहन भागवत एक कार्यक्रम में कह चुके हैं कि, 'दुनिया हमें इकोनॉमी नहीं अध्यात्म के कारण विश्वगुरु मानती है. भागवत ने कहा कि भारत दूसरे देशों की मदद करता है, इसलिए हमारा देश महान है. सभी के साथ भारत खुशियां बांटता है. साथ ही आध्यात्मिक ज्ञान पर भारत को सभी देश विश्वगुरु मानते हैं.'
'भारत जैसा आध्यात्मिक ज्ञान किसी देश के पास नहीं'
भारत की अर्थव्यवस्था पर बात करते हुए भागवत ने कहा था कि, '3 लाख करोड़ की इकोनॉमी भारत जल्द ही बन जाएगा, ऐसा होना कोई बड़ी बात नहीं है. दूसरे देश जैसे चीन, अमेरिका इसे हांसिल कर चुके हैं. इस विश्व में अमेरिका, चीन के साथ कई देश अमीर हैं. पर भारत जैसा आध्यात्मिक ज्ञान किसी देश के पास नहीं है.'