- उत्तर प्रदेश की रिपोर्ट में कई छोटी नदियों को नाला घोषित कर सीवर सिस्टम से जोड़ने की बात कही गई है.
- नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने छोटी और मौसमी नदियों को संरक्षित रखने की आवश्यकता पर जोर दिया है.
- एनजीटी ने UP सरकार से चार सप्ताह के भीतर नदियों के नाला घोषित होने और सीवर से जुड़ने की सूची मांगी है.
गंगा नदी के प्रदूषण मामले के NGT यानि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उत्तर प्रदेश की रिपोर्ट में कई नदियों को नाला दिखाया गया है. बताया गया कि यूपी के हरदोई की छुइया नदी हापुड़ की काली नदी और सोट नदी को नाला बताया गया है. याचिकाकर्ता का कहना था कि अगर इसी तरह छोटी बड़ी नदियों को नाला घोषित कर दिया जाएगा और उसे सीवर से जोड़ दिया जाएगा, तो नदियां कहां बचेंगी. इस पर NGT की प्रधान पीठ ने कहा कि चाहे नदियां छोटी हो या बारिश की मौसमी उनको संरक्षित करना ज़रूरी है क्योंकि ये छोटी बड़ी नदियां गंगा नदी में मिलती हैं, जिसके चलते जल संतुलन और बड़ी नदियों के जल संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है.
यूपी से NGT ने मांगा जवाब
इस मुद्दे पर हुई सुनवाई और 4 सितंबर को होगी लेकिन NGT ने उप्र सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है. उप्र सरकार बताए कि किन-किन नदियों को नाला बताया गया है और कौन कौन सी नदियों को सीवर से जोड़ दिया गया है.
NGT में गंगा नदी के प्रदूषण पर चल रही है सुनवाई
गंगा नदी के प्रदूषण को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में सुनवाई हो रही है. हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गंगा प्रदूषण से जुड़े मामलों को एनजीटी में ट्रांसफर करने का आदेश दिया है. यह फैसला गंगा नदी के प्रदूषण को लेकर दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई के बाद आया है. NGT ने गंगा नदी में प्रदूषण के स्तर पर चिंता जताई है और राज्य सरकारों को इसे कम करने के लिए तत्काल कदम उठाने का आदेश दिया है. एनजीटी ने वाराणसी में गंगा नदी में गिर रहे नालों पर भी नाराजगी जताई है और जिला अधिकारी से रिपोर्ट मांगी है.