- चुनाव आयोग ने मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया की तारीखों में संशोधन कर नया शेड्यूल जारी किया है
- SIR प्रक्रिया के तहत राज्य में लगभग दो करोड़ अस्सी लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं
- लखनऊ जिले में तीस प्रतिशत मतदाताओं के नाम हटाए जाने से राजनीतिक और प्रशासनिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं
चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश में SIR की तारीखों में संसोधन कर दिया है. नई तारीखों के अनुसार मतदाता अब सूची का आलेख्य प्रकाशन 6 जनवरी 2026 को होगा. जबकि मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 06 मार्च 2026 को होगा. यह सूची पहले 31 दिसंबर को ही आना था. आपको बता दें कि राज्य में SIR प्रक्रिया के तहत 2.89 करोड़ लोगों के नाम काट दिए गए हैं. जिन लोगों के नाम काटे गए हैं उनसे सबसे ज्यादा लोग लखनऊ और गाजियाबाद से हैं. अकेले लखनऊ में ही 30% नाम हटाए गए हैं, जिससे जिले में राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल तेज हो गई है.
टाइम किया गया एक्सटेंड
चुनाव आयोग ने पहले स्पष्ट कर दिया था कि अब SIR प्रक्रिया में समय का कोई एक्सटेंशन नहीं मिलेगा. फाइनल ड्राफ्ट 31 दिसंबर को ही जारी होगा. SIR प्रक्रिया को पूरा करने की पहली समय सीमा 4 दिसंबर थी, लेकिन इसे दो बार बढ़ाया गया और अंततः शुक्रवार को यह भी खत्म हो गई है. लेकिन अब आयोग ने इसकी समय सीमा बढ़ा दी है.
2 लाख नए नाम जुड़े
SIR की प्रक्रिया के तहत पिछले 14 दिनों में SIR में सिर्फ 2 लाख नए नाम जुड़े हैं, जबकि हटाए गए नामों की संख्या इसकी तुलना में कई गुना अधिक है. इससे विपक्षी दलों की निगाहें भी इस ड्राफ्ट पर टिकी हुई हैं.फोकस यह है कि इतने बड़े पैमाने पर नाम काटे जाने के बाद अंतिम सूची आने पर प्रदेश की मतदाता संख्या में कितना बदलाव दर्ज होता है.
SIR पर सियासत भी तेज
चुनाव सुधार और स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन को लेकर सियासत भी जोरों पर है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे लेकर कुछ दिन पहले ही एक बयान दिया था. उन्होंने उस दौरान कहा था कि सुनने में आ रहा है कि यूपी में आधार कार्ड को नहीं माना जा रहा है.आधार जैसा कार्ड जिसमें सबकुछ डाक्यूमेंटेड है, उसमें आपका फिंगर है, आपकी आई है, आपकी पूरी डिटेल है, उसके बाद भी आधार कार्ड को नहीं माना जा रहा है. इसका मतलब यह है कि यह एसआईआर नहीं है, इसमें अंदर ही अंदर एनआरसी वाला काम कर रहे हैं. हमने उत्तर प्रदेश में सुना है कि वहां के मुख्यमंत्री जी ने कहा है कि हम डिटेंशन सेंटर बना रहे हैं.एसआईआर में जिसका नाम नहीं है, उसके लिए डिटेंशन सेंटर की जरूरत क्यों है. एनआरसी का जो काम ये खुलकर नहीं कर सकते थे, वो यह एसआईआर के नाम पर कर रहे हैं.
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