अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्य की हुई समीक्षा बैठक, ट्रस्ट ने कहा- मंदिर की संरचना दीर्घकालिक हो

ट्रस्ट के मुताबिक यह सुनिश्चित किया गया कि मंदिर की संरचना दीर्घकालिक हो. सरंचनात्मक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए मिट्टी की परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार जमीन से 12 मीटर गहराई तक मलबे की उपस्थिति देखी गई. 

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प्रतीकात्मक तस्वीर.
अयोध्या:

साल 2023 के अंत तक श्रद्धालुओं के लिए राम लला के दर्शन सुलभ हो सकें, इस दिशा में निर्माण कार्य तेजी पर है.
समीक्षा बैठक 27-29 अगस्त तक अयोध्या में हुई. बैठक में स्वामी गोविंद देव गिरी, चंपत राय, विमलेंद्र मोहन, प्रताप मिश्रा, डॉ अनिल मिश्रा, नृपेंद्र मिश्रा के अलावा मेसर्स टीसीई, मेसर्स एल एंट टी, मेसर्स सोमपुरा, मेसर्स डिजाइन एसोसिएट्स और ट्रस्ट के अन्य अधिकारी मौजूद रहे. ट्रस्ट के मुताबिक यह सुनिश्चित किया गया कि मंदिर की संरचना दीर्घकालिक हो. सरंचनात्मक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए मिट्टी की परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार जमीन से 12 मीटर गहराई तक मलबे की उपस्थिति देखी गई. 

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मिट्टी का नमूना सीएसआरआई-एनजीआरआई हैदराबाद, सीबीआईआई रुड़की, आईआईटी मद्रास जैसी विशेषज्ञ एजेंसियों को भेजा गया. अन्य आईआईटी के विशेषज्ञों को साथ जोड़ कर परामर्श को व्यापक बनाया गया. विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार 18500 वर्ग मीटर क्षेत्र में 12 मीटर तक गहराई की खुदाई करने के बाद मलबा हटा दिया गया और नींव को इंजीनियर्ड फिल (रोलर कॉंपेक्ट कंक्रीट) से भर दिया गया. यह काम रिकॉर्ड समय में पूरा  हो गया. कच्चे माल की खरीद में जिला अधिकारियों और राज्य सरकार का सहयोग मिला. यह काम 18 महीनों में पूरा होना था लेकिन केवल 5 महीनों में ही पूरा कर लिया गया.

पत्थर से निर्मित संरचना की स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की को संरचनात्मक स्थिरता का विश्लेषण करने का कार्य सौंपा गया था. सीबीआईआई रुड़की ने 2500 वर्षों तक के लिए भूकंप ट्रैक के लिए कंप्यूटरीकृत अनुकरण करने के बाद डिजाइन तैयार किया है. राफ्ट का काम जल्द शुरु हो जाएगा और अक्टूबर 2021 तक पूरा होने की संभावना है. राफ्ट के ऊपर प्लिंथ का निर्माण होगा जिसकी ऊंचाई 16 फीट होगी. मंदिर के प्लिंथ में मिर्जापुर पत्थर का उपयोग होगा. मंदिर सुपर स्ट्रक्चर के निर्माण के लिए बंसी पहाड़पुर (राजस्थान) और संगमरमर का उपयोग होगा. मंदिर के निर्माण में चार लाख क्यूबिक फीट पत्थर लगेगा. मंदिर के निर्माण में किसी भी तरह स्टील का प्रयोग नहीं होगा. मंदिर के परकोटे के लिए जोधपुर पत्थर का उपयोग होगा. परकोटा के बाहर पूरे परिसर का प्रारंभिक मास्टर प्लान तैयार कर लिया गया है. इसमें तीर्थयात्री सुविधा केंद्र, संग्रहालय, अभिलेखागार, अनुसंधान केंद्र, सभागार, गौशाला, यज्ञ शाला, प्रशासनिक भवन आदि शामिल हैं.

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कुबेर टीला तथा सीता कूप जैसी विरासत संरचनाओं के संरक्षण और विकास पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. मास्टर प्लान को अंतिम रूप देने के लिए सम्मानित संतों और साधुओं के सुझावों पर भी विचार किया जा रहा है.

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