कोटपूतली : बोरवेल में फंसी 3 साल की बच्ची के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन 20 घंटों से जारी, लोग मांग रहे दुआ

राजस्थान के कोटपूतली जिले के सरुंड थाना क्षेत्र में सोमवार सुबह एक बच्ची बोरवेल में गिर गई. बच्ची को सुरक्षित निकालने के प्रयास जारी हैं.

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बच्ची को निकालने के लिए मशक्कत जारी
जयपुर:

राजस्थान के कोटपूतली जिले के सरुंड थाना क्षेत्र में बोरवेल में गिरी 3 साल की बच्ची को जल्दी ही बाहर निकाल लिया जाएगा. कितरपुरा इलाके में भूपेंद्र चौधरी नामक व्यक्ति के खेत में उसकी साढ़े तीन साल की बच्ची चेतना फिसलकर बोरवेल में गिर गई थी. जिसके बाद से ही बच्ची को निकालने की मशक्कत जारी है. 20 घंटे से बोरवेल मे फंसी 3 साल की मासूम बच्ची चेतना को बचाने की मुहिम जोरों पर चल रही है. हालांकि सर्दी और मॉस्चर के कारण रेस्क्यू में दिक्कत आ रही है.

बच्ची को जल्द निकाल जाएगा बाहर

बताया जा रहा है कि कुछ देर में चेतना को निकाल लिया जाएगा. बच्ची को बोरवेल से निकालने के लिए NDRF और SDRF टीमों ने मोर्चा संभाला हुआ है. किसी शिंकजा नुमा चीज के जरिए से बच्ची को निकालने का प्रयास चल रहा है. फिलहाल J हुक से बच्ची को फंसाया गया. बच्ची को करीब 10 फीट ऊपर खींचा गया. बच्ची को L सपोर्ट के सहारे बोरवेल से बाहर निकलने की मशक्कत जारी है.

जिस बोरवेल में बच्ची गिरी है, उसकी गहराई करीब 150 फुट है. बोरवेल खुला पड़ा था और उसके अंदर से बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी. सूचना मिलने पर राज्य आपदा प्रबंधन बल और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की टीमें मौके पर पहुंच गई थी. बच्ची की हरकतों को कैमरे में दर्ज किया गया है और ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए बोरवेल में ऑक्सीजन पाइप डाला गया है.

राजस्थान के कैबिनेट मंत्री ने क्या बताया

राजस्थान के कैबिनेट मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने बच्ची के बोरवेल में गिरने की घटना पर दुख जताते हुए संबंधित अधिकारियों से राहत एवं बचाव कार्यों के बारे में जानकारी ली. राठौड़ ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘कोटपूतली में तीन साल की चेतना बिटिया के बोरवेल में गिरने की घटना अत्यंत दुखद एवं पीड़ादायक है. संबंधित अधिकारियों से बिटिया को सफलतापूर्वक निकालने के लिए बातचीत की. ईश्वर से उसकी सकुशल वापसी की प्रार्थना की.''

दो सप्ताह पहले दौसा जिले में पांच साल का एक बच्चा बोरवेल में गिर गया था. बच्चे को सुरक्षित निकालने के लिये राहत और बचाव अभियान 55 घंटों से ज्यादा समय तक चला था. हालांकि, जब तक उसे बाहर निकाला गया, तब तक बच्चा जिंदगी की जंग हार चुका था.

(भाषा इनपुट्स के साथ)

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