रेणुकास्वामी हत्या मामला: सुप्रीम कोर्ट का पवित्रा गौड़ा की जमानत रद्द करने के आदेश पर पुनर्विचार से इंकार

इस मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि हमने संबंधित आदेश और रिकॉर्ड का सावधानीपूर्वक अवलोकन किया है. हमारे विचार में पुनर्विचार का कोई आधार नहीं बनता.

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  • रेणुकास्वामी हत्या मामले में पवित्रा गौड़ा की जमानत रद्द करने के फैसले पर पुनर्विचार याचिका खारिज
  • SC ने हाईकोर्ट के जमानत आदेश को कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण मानते हुए सभी आरोपियों की जमानत रद्द कर दी थी
  • अदालत ने गंभीर आरोपों को देखते हुए कहा कि जमानत का कोई ठोस आधार नहीं है और विशेष छूट नहीं मिल सकती
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रेणुकास्वामी हत्या मामले जमानत रद्द करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट फिर से विचार नहीं करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने अभिनेत्री पवित्रा गौड़ा की जमानत खारिज किए जाने के आदेश पर पुनर्विचार याचिका ठुकरा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कन्नड़ फिल्म अभिनेत्री पवित्रा गौड़ा द्वारा दायर उस पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने 14 अगस्त 2025 के आदेश पर पुनर्विचार की मांग की थी. उस आदेश में अदालत ने गौड़ा, अभिनेता दर्शन और अन्य आरोपियों की रेणुकास्वामी हत्या मामले में मिली जमानत रद्द कर दी थी.

विचार में पुनर्विचार का कोई आधार नहीं बनता

जस्टिस जे.बी. परदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने गौड़ा की ओपन कोर्ट में सुनवाई की मांग भी अस्वीकार कर दी. पीठ ने कहा कि हमने संबंधित आदेश और रिकॉर्ड का सावधानीपूर्वक अवलोकन किया है. हमारे विचार में पुनर्विचार का कोई आधार नहीं बनता. पुनर्विचार याचिकाएं खारिज की जाती हैं. आपको बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने पवित्रा गौड़ा और कन्नड़ अभिनेता दर्शन समेत सात आरोपियों को जमानत दी थी. लेकिन 14 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए सभी आरोपियों की जमानत रद्द कर दी थी.

गंभीर आरोपों में किसी को कोई विशेष छूट नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि हाईकोर्ट का आदेश “कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण” था और गंभीर आरोपों को देखते हुए जमानत का कोई ठोस आधार नहीं था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पवित्रा गौड़ा और दर्शन को दोबारा गिरफ्तार कर बेंगलुरु सेंट्रल जेल में भेज दिया गया था. इसके बाद में पवित्रा गौड़ा की नई जमानत याचिका भी खारिज कर दी गई थी. कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि कानून सभी के लिए समान है और गंभीर आरोपों पर किसी को विशेष छूट नहीं दी जा सकती.

आरोप पत्र से क्या-क्या आया सामने

आरोप पत्र के अनुसार, रेणुकास्वामी ने कथित तौर पर पवित्रा को अश्लील संदेश भेजे थे, उसके बाद उसका अपहरण कर लिया गया, उसे बेंगलुरु के एक शेड में ले जाया गया और उसके साथ मारपीट की गई. न्यायाधीश ने आरोप पत्र पढ़ते हुए कहा, 'उसे चप्पलों और लकड़ी के तख्ते से पीटा गया, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं.' अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि पवित्रा ने रेणुकास्वामी पर चप्पल से हमला किया, जबकि दर्शन ने रेणुकास्वामी को पैंट उतारने के लिए मजबूर किया और उसके बाद उसके साथ मारपीट की, जिससे उसकी मौत हो गई.

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