सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों को लेकर छिड़ी लड़ाई पर सुनवाई हुई. दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद से शासन व्यवस्था चलाने में उप राज्यपाल से अधिकार क्षेत्र को लेकर विवाद है. जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुआई वाली संविधान पीठ में अधिकार के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर सुनवाई हुई.
दिल्ली में केंद्रीय प्रशासनिक सेवा क्षेत्र में नियुक्ति और तबादलों के अधिकार को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच कानूनी खींचतान को लेकर दाखिल याचिकाओं पर 5 जजों की संविधान पीठ सुनवाई हुई. फिलहाल ये अधिकार केंद्र के पास है. लेकिन दिल्ली सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक केंद्र सरकार यानी उप राज्यपाल को सिर्फ जमीन, पुलिस और लोक आदेश यानी कानून व्यवस्था में अधिकार मिला था. सर्विस मैटर्स पर कोर्ट ने कोई स्पष्ट नहीं किया तो केंद्र ने उस पर कब्जा जमा लिया.
वहीं, 6 मई को सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की बेंच ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच कानूनी विवाद से जुड़े सीमित सवालों को संविधान पीठ के हवाले कर दिया था. पूर्व CJI रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने पाया था कि कि मुख्य तर्क अनुच्छेद 239AA में 'इस तरह का कोई भी मामला केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होता है' और 'इस संविधान के प्रावधानों के अधीन' वाक्यांशों की व्याख्या से संबंधित है. हालांकि, ऐसा प्रतीत होता है कि विचाराधीन ट्रांसफर-पोस्टिंग मुद्दे को छोड़कर सभी मुद्दों को 2018 के अपने फैसले में संविधान पीठ द्वारा विस्तृत रूप से निपटाया गया है. इसलिए पीठ ने उन मुद्दों पर फिर से विचार करना आवश्यक नहीं समझा, जो पिछले संविधान पीठों द्वारा तय किए गए हैं.
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