21 हजार के निवेश से शुरू हुआ था टाटा समूह, देश के साथ खुद को भी यूं बढ़ाया आगे

अंग्रेजी शासन ने कोलकाता में हावड़ा ब्रिज बनाने का महत्वाकांक्षी प्लान बनाया था. लेकिन युद्ध के कारण बाहर से स्टील आना संभव नहीं हो रहा था. अंग्रेजी शासन चिंता में पड़ गया ये प्रोजेक्ट पूरा कैसे होगा? तब टाटा ग्रुप सामने आया. इस ब्रिज को बनाने के लिए 90 फीसदी से अधिक स्टील टाटा स्टील कंपनी ने ही दिया था.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
नई दिल्ली:

टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टीसीएस, टाटा नमक, टाटा चाय, एयर इंडिया,जैगुआर, लैंड रोवर, टाइटन, फास्ट्रैक, तनिष्क, स्टारबक्स, वोल्टास, जारा, वेस्टसाइड, कल्टफिट, टाटा एआईजी, टाटा प्ले, टाटा वनएमजी और टाटा कैपिटल...पढ़ते-पढ़ते शायद जब आप थक जाएंगे तब जाकर ये लिस्ट खत्म होगी. संभव है फिर भी कुछ नाम छूट जाएं, क्योंकि हम बात कर रहे हैं टाटा ग्रुप की. उस टाटा ग्रुप की जिसके चेयरमैन रहे रतन टाटा अब हमारे बीच नहीं हैं. पूरा देश गमगीन है.

क्यों रतन टाटा के जाने पर देश का हर खास और आम गमगीन है? कैसे टाटा का नाम विश्वास शब्द का पर्यायवाची बन गया? कैसे मात्र 21 हजार रुपये के निवेश से शुरू हुआ कारोबार आज 33.7 लाख करोड़ की नेटवर्थ वाला समूह बन गया? कैसे एक पुजारी का परिवार देश का सबसे बड़ा औद्योगिक समूह बन गया? कैसे उसने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ही नहीं अंग्रेजों को भी संकट से बचाया? कैसे टाटा ग्रुप की वजह से भारत ने अपने सबसे महान सम्राट अशोक को जाना? सवाल कई हैं जिनके जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे.

आज से 185 साल पहले यानी 3 मार्च 1839 को  गुजरात के नवसारी नुसरवाना जी टाटा के घर एक बालक का जन्म हुआ. नाम रखा गया जमशेदजी नुसरवान जी टाटा. जमशेदजी टाटा के पिता एक पुजारी थे. उनके पूर्वज ईरान से भारत आए थे और जीवन यापन के लिए पारसी परिवारों के मंदिर और घरों में पूजा का काम करते थे. इसी दौरान नुसरवान जी टाटा को लगने लगा पूजा के पुश्तैनी काम से आर्थिक स्थिति नहीं सुधरेगी. तब वे परिवार को लेकर मुंबई आ गए और बिजनेस करने का फैसला लिया.

Advertisement

ट्रेडिंग कंपनी से टाटा स्टील तक...
इसका असर उनके बेटे जमशेदजी टाटा पर हुआ. जिसके बाद उन्होंने महज 29 साल की उम्र में मात्र 21 हजार रुपये की लागत से साल 1868 में मुंबई में एक ट्रेडिंग कंपनी की स्थापना की. इसी कदम को टाटा ग्रुप के साम्राज्य का पहला कदम माना जाता है. जमशेदजी के पास भारत के लिए सपनों का अंबार था. इसी में से एक सपना जो उनके जीवनकाल में ही पूरा हुआ वो था 1903 में देश के पहले लग्जरी होटल ताज पैलेस की स्थापना. इसके बाद साल 1907 झारखंड के जमशेदपुर में टाटा स्टील तब इसका नाम टिस्को था.

Advertisement

खास बात ये है कि जमशेदपुर में कारखाने की स्थापना से पहले दोराबजी टाटा ने यहां अस्पताल का निर्माण करवाया. साल 1909 में टाटा ने साइंस की पढ़ाई के लिए बेंगलुरू में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की स्थापना की, जिसने देश को होमी जहांगीर भाभा, सर सीवी रमण, सतीश धवन, विक्रम साराभाई और ए.पी. जे. अब्दुल कलाम जैसे छात्र दिए. भारत के विकास के लिए ये सब काम टाटा देश के अंदर कर ही रहे थे कि खबर आई की हजारों मील दूर साउथ अफ्रीका में भारत के एक बेटे मोहनदास करमचंद गांधी ने नस्लवाद के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया है. तुरंत ही रतनजी टाटा ने 25 हजार रुपये की मदद उन्हें भेज दी. याद रखिएगा तब साल था 1909..यानी तब ये कितनी बड़ी रकम होगी इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं.

Advertisement

सम्राट अशोक पर रिसर्च के लिए रतन टाटा ने दिए 75 हजार रुपये
इसी दौरान एक और अहम घटना हुई. पाटलिपुत्र यानी अभी का पटना में एक अंग्रेज इतिहास कार ने खुदाई की तो उसमें सम्राट अशोक के समय के अवशेष मिले. ये बड़ी खोज थी और उसे जारी रखने के लिए लंबे समय तक भारी रकम की जरूरत थी. सर रतन टाटा सामने आए और करीब 75 हजार रुपये दिए. जिससे वो खोज पूरी हुई और आज भारत अपने महान सपूत सम्राट अशोक को जान पाया.

Advertisement

कर्मचारियों को टाटा ने दिए ये सुविधा
सब कुछ ठीक चल रहा था. तभी सेकेंड वर्ल्ड वार का वक्त आ गया. तब के अंग्रेजी शासन ने कोलकाता में हावड़ा ब्रिज बनाने का महत्वाकांक्षी प्लान बनाया था. लेकिन युद्ध के कारण बाहर से स्टील आना संभव नहीं हो रहा था. अंग्रेजी शासन चिंता में पड़ गया ये प्रोजेक्ट पूरा कैसे होगा? तब टाटा ग्रुप सामने आया. इस ब्रिज को बनाने के लिए 90 फीसदी से अधिक स्टील टाटा स्टील कंपनी ने ही दिया था. जो आज भी शान से खड़ा है. जाहिर है भारत में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत करने का श्रेय टाटा ग्रुप को ही जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं- 8 घंटे काम करने का नियम, कर्मचारियों को मुफ्त चिकित्सा सुविधा देने का प्रावधान, कर्मचारियों के बच्चों को मुफ्त स्कूली शिक्षा देने की योजना, कर्मचारियों को भुगतान के साथ छुट्टी, दुर्घटना की स्थिति में कर्मचारियों को मुआवजा और रिटायर होने पर ग्रेच्युटी जैसी सुविधाएं भारत में सबसे पहले टाटा ग्रुप ने ही शुरू की थी. ये सारी सुविधाएं ग्रुप ने 1912 से 1937 के बीच शुरू कर दी थी.

टाटा एयरलाइंस की कहानी
इसके बाद साल 1929में जे आरडी टाटा ने भारत में सबसे पहले पायलट का लाइसेंस हासिल किया. इसके बाद साल 1932 में भारत की पहली एयरलाइंस की स्थापना उन्होंने ही की. तब उसका नाम टाटा एयरलाइंस था जो अब एयर इंडिया है. इसके साल 1941 में टाटा ने मुंबई में टाटा मेमोरियल अस्पताल की स्थापना की जो आज कैंसर के इलाज का देश में सबसे अहम अस्पताल है. भारत का पहला ब्यूटी प्रोजेक्ट लेक्मे की स्थापना 1952 में टाटा ने ही की थी. सफर आग बढ़ता रहा...अब स्थिति ये है कि टाटा ग्रुप दुनिया के छह महाद्वीपों के 100 देशों में फैला है. 30 से ज्यादा बड़ी कंपनियां उसके खाते में है. उसका कारोबार नमक से लेकर हवाई जहाज तक फैला है. भारत में एक आम आदमी के जीवन में ऐसा कुछ भी नहीं है जहां टाटा नहीं है. लेकिन ये पूरा कारोबार वसूलों के साथ होता है. तभी तो शेयर मार्केट के 'बिग बुल' कहे जाने वाले राकेश झुनझुनवाला ने कहा था- टाटा तो एक रोल मॉडल हैं. संपत्ति क्‍या है? वे समाज की भलाई के लिए पैसा कमा रहे हैं.इससे अच्‍छा काम भला एक इंसान और क्‍या कर सकता है?

Featured Video Of The Day
Isreal के हमले बरकरार, Beirut, Gaza और Syria को एक साथ बना रहा निशाना | Breaking News
Topics mentioned in this article